करोड़ों दिलों की धड़कन, व्यापार, परोपकार, नैतिक जिम्मेदारी से लेकर मानवता की मूर्ति के प्रतिरूप रतन टाटा जी 86 वर्ष की आयु में नश्वर शरीर को त्याग कर परमात्मा में विलीन हो गए। सम्पूर्ण विश्व उनके अनगिनत कार्यों को ताउम्र भूल नहीं पाएगा सदैव सभी की स्मृतियों में ज़िंदा रहेगा। मैंने भी इस दिव्य विभूति को समर्पित एक कविता लिखी है।
संघर्षों की बलि देकर ही
जग में मिली सफलता है
लक्ष्य एक है गर जीवन में
फिर दूर नहीं विफलता है
साधन साध्य बन जाता है
दुनिया भी शीश झुकाती है
ख़ून पसीने की मेहनत ही
विजय का तिलक लगाती है
सपनों की उड़ान को पंख
देकर बेहतर दुनिया बनाई है
युगों तक याद रखेंगे लोग
रतन टाटा की ये कमाई है
दिल के धनी सहृदय छवि
चुनौतियों को डटकर झेला
हिम्मत ना हारी न थके कभी
हर बाज़ी को अच्छे से खेला
उधोग धंधे बेशुमार दिए और
किये परोपकार के काम कई
उबारा देश को समस्याओं से
बनाई हैं अनगिनत राहें नई
विकास और अटूट विश्वास
का था जोश भरा विचारों में
टाटा पहुंच गया बुलंदियों पर
ये सुर्खियां बनी अखबारों में
शिक्षा स्वास्थ्य संकल्प सेवा
ही मात्र एक उनका सपना था
कोई भेद नहीं था धर्म जाति
का बस हर कोई ही अपना था
प्रेरणा लेंगे गुणों से लोग उनके
सादा जीवन उच्च अनंत विचार
रतन टाटा ईश्वर की कृतियों का
थे ‘दीप’ अनुपम सच्चा उपहार
-दीपक कुमार ‘दीप’
रतन टाटा जैसी शक्शियत हज़ारों लाखों वर्षों में कोई एक जन्म लेता है, जो अपने साथ साथ समाज, देश और दुनिया को अपने बेहतरीन और शानदार नेतृत्व से आगे बढ़ाता है। देश विदेशों में रतन टाटा का जलवा कायम था, वे टाटा ग्रुप, एयर इंडिया, विस्तारा, क्रोमा, टाइटन, वोल्टास, तनिष्क, फास्टट्रैक, एयर एशिया, लैंड रोवर जगुआर जैसी सफल कंपनियों के मालिक थे, इस लिस्ट में गिनती यहीं ख़त्म नहीं होती, बल्कि ये सूची बहुत बड़ी है। उन्होंने अपने कार्यकाल में इन कंपनियों को बुलंदियों के सर्वोत्तम शिखर पर पहुंचाया, इस माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार भी दिया, जीने का साधन ही नहीं सपनों को पूरा करने का दृढ संकल्प और हौसला भी दिया। रतन टाटा ने देश को जो बहुमूल्य योगदान दिए हैं वो सभी आने वाले वक़्त में लाखों करोड़ों युवाओं का पथ प्रदर्शन करेगा, उनके जाने से देश को अपूरणीय क्षति हुई है, जिसे वो किसी भी रूप में भर नहीं सकता। कहते हैं आपका व्यवहार आपके साथ साथ दूसरों का भी कल्याण करता है। भारत देश के रत्न, पद्मविभूषण से सम्मानित आदरणीय रतन टाटा जी के अविस्मरणीय संस्मरण को याद करके आज ना जाने कितने लोगों की आँखें नम हो गई होंगी, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनके साथ जुड़ा रहा।
एक प्रसंग ज़रूर शेयर करना चाहूंगा
पूरी दुनिया में आज भले ही टाटा मोटर्स सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, किंतु एक वक्त ऐसा भी था जब टाटा कंपनी के मालिक रतन टाटा अपनी स्वदेशी निर्मित कार टाटा इंडिका की खस्ता हाल से परेशान होकर टाटा मोटर्स को बेचने का निर्णय ले लिया था। इसके लिए अमेरिका स्थित फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड से भी मुलाकात की, किंतु किन्हीं कारणों से ये डील नहीं हो सकी। हालांकि इससे रतन टाटा बहुत दुःखी भी हुए थे, बावजूद इसके, समय ने करवट ली, जिस कंपनी के पास वो टाटा मोटर्स को बेचने गए थे, कुछ वर्षों बाद फोर्ड्स कंपनी की हालत खराब होने से टाटा मोटर्स ने उनसे जगुआर लैंड रोवर कंपनी ही खरीद ली।
मैं शीश झुका कर इस महान विभूति को सादर नमन करता हूँ ।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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Its very nice to see about The great man Ratan Tata Ji.
Very nice poem written by you.