सूरज का गुस्सा और बच्चों की माफ़ी | Suraj Ka Gussa | Best Kids Nature Story 2025

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Last updated on June 24th, 2025 at 12:15 pm

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सूरज का गुस्सा और बच्चों की माफ़ी | Suraj Ka Gussa | Best Kids Nature Story 2025

बहुत समय पहले की बात है। एक छोटा सा प्यारा गांव था – प्रकाशपुर। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वहाँ सूरज हर दिन सबसे पहले मुस्कुराता हुआ निकलता और बच्चों को अपनी किरणों से उठाता।

सूरज हर रोज़ सबको गर्मी देता, रोशनी देता, फूलों को खिला देता और पेड़ों में मिठास भर देता। बच्चे उससे बातें करते, पक्षी उसके साथ गुनगुनाते और किसान उसके साथ मेहनत करते।

पर एक दिन… सूरज नाराज़ हो गया! सूरज ऊपर से सब देखता था। उसे बहुत दुःख हो रहा था। बच्चों ने खेलते समय पेड़ काट दिए थे, नदियों में प्लास्टिक डाल दी थी, खेतों को जला दिया गया था और जानवरों को पत्थर मारे जा रहे थे। सूरज ने खुद से कहा,**”अगर इंसान मेरी रोशनी का सही उपयोग नहीं कर पा रहे, तो मैं क्यों निकलूं हर दिन?” **और अगली सुबह… सूरज नहीं निकला।

गांव में सब कुछ अंधेरा था। सुबह 8 बजे भी ऐसा लग रहा था जैसे रात हो।
पक्षी चुप थे, बच्चे उदास थे, फूल मुरझा गए थे।
स्कूल नहीं खुला, खेतों में कोई काम नहीं हुआ, सब थकावट और उदासी से भर गए।

“क्या हुआ सूरज मामा को?”
बच्चों ने पूछा।

वहीं गांव में एक छोटी बच्ची थी – पाखी
वो रोज़ सुबह सूरज को “गुड मॉर्निंग मामा” कहती थी और एक फूल उसके लिए खिड़की पर रखती थी।

उसने सोचा,
“जरूर सूरज मामा नाराज़ हैं। हमें उनसे माफ़ी माँगनी चाहिए।”

पाखी ने गांव के सब बच्चों को इकट्ठा किया और कहा –
“आओ, हम सब मिलकर सूरज मामा को एक चिट्ठी लिखें!”

बच्चों ने मिलकर एक सुंदर चिट्ठी लिखी –

“प्यारे सूरज मामा,
हमें माफ़ कर दो। हमने पेड़ काटे, नदियों को गंदा किया, जानवरों को दुख पहुँचाया।
लेकिन अब हम सब सुधरना चाहते हैं।
हम फिर से धरती से प्यार करेंगे, पेड़ लगाएंगे और हर रोज़ आपको धन्यवाद कहेंगे।
कृपया वापस आ जाओ। आप नहीं होंगे, तो जीवन अधूरा है।”

चिट्ठी के साथ बच्चों ने फूल, छोटी-छोटी पेंटिंग्स और मुस्कुराते हुए चेहरे बनाए।

अगले दिन सुबह…

धीरे-धीरे पूरब की ओर हल्की लालिमा दिखाई दी।
फिर धीरे-धीरे सूरज की सुनहरी किरणें बादलों को चीरते हुए निकलीं।

सूरज मुस्कुरा रहा था!
बच्चों ने खुशी से नाचना शुरू कर दिया –
“सूरज मामा आ गए! सूरज मामा आ गए!”

उस दिन के बाद सब कुछ बदल गया।
बच्चों ने गांव में पेड़ लगाए, नदी को साफ़ किया, जानवरों को खाना खिलाया।
हर सुबह पाखी खिड़की पर फूल रखती, और सूरज मुस्कुराकर उसे जवाब देता।

सूरज अब और ज्यादा चमकता था – क्योंकि उसे धरती पर सच्चा प्यार और सुधार दिखाई देने लगा था।

🌟 शिक्षा (Moral of the Story):

प्रकृति हमें सब कुछ देती है, लेकिन अगर हम उसका दुरुपयोग करेंगे, तो वह भी हमसे नाराज़ हो सकती है। बच्चों के छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।

इस कहानी को विस्तार से पढ़िए:

बहुत समय पहले की बात है। एक खूबसूरत गाँव था, जिसका नाम था प्रकाशपुर। यह गाँव बहुत ही प्यारा और हरा-भरा था। वहाँ के लोग मेहनती थे, बच्चे खुशमिजाज थे और हर किसी के चेहरे पर मुस्कान रहती थी।

इस गाँव की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वहाँ हर सुबह सूरज सबसे पहले मुस्कुराकर निकलता था और अपनी सुनहरी किरणों से पूरे गाँव को चमका देता था। सूरज मामा, जैसा कि बच्चे उसे प्यार से बुलाते थे, गाँववालों के सबसे अच्छे दोस्त थे।

🌻 सूरज की दिनचर्या
सूरज हर रोज़ बहुत खुश होकर पूर्व दिशा से निकलता और गांव की हर चीज़ को रोशनी देता –

बच्चों के स्कूल की घंटी उसकी रोशनी के साथ बजती,

किसान उसी की रौशनी में हल चलाते,

फूल उसके आने से खिलते और

चिड़ियाँ उसकी किरणों से गाते हुए उड़ान भरतीं।

गांव के बच्चे रोज़ सूरज मामा को “गुड मॉर्निंग!” कहते और उनके लिए आकाश की ओर उड़ते हुए कागज़ के रंग-बिरंगे पतंग छोड़ते। सूरज मामा भी कभी-कभी अपनी किरणों से पतंगों को छूकर हल्का सा इशारा करते — मानो मुस्कराकर बच्चों को आशीर्वाद दे रहे हों।

😟 लेकिन एक दिन…
समय बीतता गया। गांव में बदलाव आने लगे।
जहाँ पहले लोग पेड़ लगाते थे, वहाँ अब नए-नए बिल्डिंग बनने लगे।
बच्चे अब पतंग उड़ाने की बजाय मोबाइल में व्यस्त रहने लगे।
नदियों में प्लास्टिक के बोतल, चिप्स के रैपर और गंदगी तैरने लगी।
पेड़ काट दिए गए थे, पक्षियों के घोंसले टूट गए, और जानवर भूखे भटकने लगे।

सूरज यह सब देख रहा था।
उसका दिल दुखी था।

एक दिन सूरज ने अकेले में खुद से कहा –

“मैं हर दिन धरती को रोशनी देता हूँ, ऊर्जा देता हूँ, जीवन देता हूँ।
लेकिन इंसान मेरी रौशनी का क्या कर रहे हैं?
वो पेड़ काट रहे हैं, नदियाँ गंदा कर रहे हैं, जानवरों को मार रहे हैं।
क्या मेरी मेहनत का कोई मूल्य नहीं?”

और उस दिन सूरज ने तय किया –
“अब मैं नहीं निकलूंगा। अब मैं धरती को अपनी रोशनी नहीं दूँगा।”

🌑 अगली सुबह – जब सूरज नहीं निकला
अगली सुबह कुछ अजीब हुआ।

सुबह के 6 बजे थे, लेकिन बाहर अंधेरा था।
7 बजे हुए, लेकिन आसमान में कोई उजाला नहीं।
8 बजे तक भी ऐसा लग रहा था जैसे रात अभी बाकी हो।

गांव के लोग चौंक गए।

“क्या आज ग्रहण है?”
“कहीं आसमान में कुछ हुआ है?”
“आज तो सूरज ही नहीं निकला!”

बच्चे डर गए। स्कूल नहीं खुला, चिड़ियाँ चुप थीं, फूल मुरझाने लगे।
पक्षी पेड़ों की शाखाओं में दुबक गए। जानवरों में बेचैनी फैल गई।

सारा गांव परेशान था।

👧 नन्ही पाखी की चिंता
उसी गांव में एक प्यारी सी बच्ची थी – पाखी।
वो हर सुबह सूरज मामा को गुड मॉर्निंग कहती थी।
उसकी खिड़की पर एक छोटा सा गमला रखा था जिसमें वह रोज़ सूरज के लिए फूल रखती थी।

उस दिन जब सूरज नहीं निकला, पाखी का चेहरा उदास हो गया।

“क्या सूरज मामा बीमार हो गए?”
“या… वो हमसे नाराज़ हो गए?”

पाखी ने अपनी माँ से पूछा –
“अगर कोई नाराज़ हो जाए तो क्या करना चाहिए?”

माँ ने मुस्कराकर जवाब दिया –
“माफ़ी मांगनी चाहिए और अपना व्यवहार सुधारना चाहिए।”

✉️ बच्चों की चिट्ठी
पाखी को एक विचार आया।

वो अपने सारे दोस्तों के पास गई और बोली –
“अगर सूरज मामा नाराज़ हैं, तो हम सब मिलकर उन्हें एक चिट्ठी लिखते हैं।”

बच्चों ने अपनी रंगीन कॉपियों और पेंसिल से सुंदर-सुंदर अक्षरों में सूरज मामा को एक प्यारी सी चिट्ठी लिखी:

“प्यारे सूरज मामा,
हम जानते हैं कि आप हमसे नाराज़ हैं।
हमने पेड़ काटे, नदियाँ गंदी कीं, और जानवरों को दुख पहुंचाया।
लेकिन अब हम सच में बदलना चाहते हैं।
हम पेड़ लगाएंगे, पानी को साफ़ रखेंगे, और प्रकृति से प्यार करेंगे।
कृपया वापस आ जाओ। आपकी रोशनी के बिना हम अधूरे हैं।
आपके प्यारे बच्चे – प्रकाशपुर से”

साथ में बच्चों ने फूलों की माला बनाई, सुंदर चित्र बनाए और पेड़, नदियों, जानवरों को रंगों में भरकर एक “सॉरी कार्ड” भी तैयार किया।

🌄 सूरज की वापसी
अगली सुबह…

पाखी ने अपनी खिड़की पर फूल रखा और आकाश की ओर देखा।
पूरे गांव ने आकाश की ओर प्रार्थना की।

धीरे-धीरे पूरब दिशा में हल्का सुनहरा रंग उभरा।
बादलों की चादर के पीछे से एक कोमल सी किरण निकली।

फिर एक और किरण… और फिर पूरा आकाश चमकने लगा!

सूरज वापस आ गया था!

गांव में ढोल बजने लगे। बच्चे खुशी से नाचने लगे।
पक्षी फिर से गाने लगे, फूल फिर से मुस्कुराने लगे।

पाखी ने सूरज की ओर देखा और कहा –
“धन्यवाद, सूरज मामा! अब हम आपको कभी दुखी नहीं करेंगे।”

सूरज ने मुस्कराकर अपनी किरणों से पाखी के गालों को सहलाया।

🌱 नया प्रकाश
उस दिन के बाद प्रकाशपुर सचमुच बदल गया।

बच्चे अब मोबाइल से ज़्यादा पेड़ लगाने में रुचि लेने लगे।

गांव में हर सप्ताह एक “हरियाली दिवस” मनाया जाने लगा।

प्रकाशपुर बना प्रकृति का दोस्त | SAVE Nature
प्रकाशपुर बना प्रकृति का दोस्त | SAVE Nature

नदी के किनारे सफाई अभियान चला।

स्कूल में “प्रकृति की रक्षा” विषय पर कहानी और कविता प्रतियोगिता रखी गई।

पाखी को गांव का “प्रकृति मित्र” चुना गया।
उसने एक दीवार पर लिखा –
“अगर सूरज ना हो, तो जीवन ना हो। तो क्यों ना हम धरती को बचाकर सूरज की तरह रोशनी फैलाएं।”

🌟 शिक्षा (Moral of the Story):
प्रकृति हमारा परिवार है।
अगर हम उसका ख्याल नहीं रखेंगे, तो वह भी हमसे दूर हो जाएगी।
छोटे बच्चे भी बड़े बदलाव ला सकते हैं — सिर्फ एक सच्चे इरादे से।

अगर आपको यह विचार पसंद आया हो, तो इसे शेयर करें और अपने दोस्तों के साथ भी पढ़ें।

-दीपक कुमार ‘दीप'(Deepak Kumar ‘deep’)

TRANSLATION INTO ENGLISH LANGUAGE

It was a long time ago. There was a beautiful village called Prakashpur. It was a lovely and green village. The people were hardworking, the children were cheerful and everyone had a smile on their face.

The biggest specialty of this village was that every morning the sun would rise smiling and would illuminate the whole village with its golden rays. Mama Suraj, as the children lovingly called him, was the best friend of the villagers.

🌻 The Sun’s Routine

The sun would rise from the east every day very happily and would illuminate everything in the village –

The children’s school bell would ring with its light,

the farmers would plough in its light,

the flowers would bloom with its arrival and

the birds would fly singing in its rays.

The children of the village would say “Good morning!” to Mama Suraj every day and release colorful paper kites for him flying towards the sky. Sometimes, Uncle Sun would touch the kites with his rays and make a slight gesture – as if he was blessing the children with a smile.

😟 But one day…

Time passed. Changes started coming in the village.

Where earlier people used to plant trees, now new buildings started coming up.

Children now started getting busy with their mobile phones instead of flying kites.

Plastic bottles, chips wrappers and garbage started floating in the rivers.

Trees were cut down, birds’ nests were broken, and animals started wandering hungry.

The Sun was watching all this.

His heart was sad.

One day, the Sun said to himself in solitude –

“Every day I give light to the earth, I give energy, I give life.

But what are humans doing with my light?

They are cutting trees, making rivers dirty, killing animals.

Is there no value to my hard work?”

And that day the Sun decided –

“Now I will not come out. Now I will not give my light to the earth.”

🌑 The next morning – when the sun did not rise

Something strange happened the next morning.

It was 6 am, but it was dark outside.

It was 7 am, but there was no light in the sky.

Even at 8 am it seemed as if the night was still left.

The people of the village were shocked.

“Is there an eclipse today?”

“Has something happened in the sky?”

“The sun did not rise today!”

The children were scared. The school did not open, the birds were silent, the flowers started to wilt.

The birds hid in the branches of the trees. Restlessness spread among the animals.

The whole village was worried.

👧 Little Pakhi’s worry

There was a cute little girl in the same village – Pakhi.

She used to say good morning to uncle Sun every morning.

She had a small pot on her window in which she used to keep flowers for the sun every day.

That day when the sun did not rise, Pakhi’s face became sad.

“Has Suraj Mama fallen ill?”

“Or… is he angry with us?”

Pakhi asked her mother –

“What should one do if someone gets angry?”

The mother replied with a smile –

“One should apologize and improve one’s behavior.”

✉️ Children’s letter
Pakhi got an idea.

She went to all her friends and said –

“If Suraj Mama is angry, then let us all write a letter to him.”

The children wrote a lovely letter to Sun uncle in their colourful notebooks and pencils in beautiful handwriting:

“Dear Sun uncle,

We know you are angry with us.

We cut trees, polluted rivers, and hurt animals.

But now we really want to change.

We will plant trees, keep water clean, and love nature.

Please come back. We are incomplete without your light.

Your loving children – from Prakashpur”

Together, the children made garlands of flowers, drew beautiful pictures and also prepared a “sorry card” by filling trees, rivers, animals in colours.

🌄 The return of the Sun

The next morning…

Pakhi placed flowers on her window and looked towards the sky.

The whole village prayed towards the sky.

Slowly a light golden colour emerged in the east.

A gentle ray emerged from behind the blanket of clouds.

Then another ray… and then the whole sky started shining!

The sun had returned!

Drums started playing in the village. Children started dancing happily.

The birds started singing again, the flowers started smiling again.

Pakhi looked at the sun and said –

“Thank you, Sun uncle! Now we will never make you sad.”

The sun smiled and caressed Pakhi’s cheeks with its rays.

🌱 Naya Prakash

After that day Prakashpur really changed.

Children now started taking more interest in planting trees than mobile phones.

A “Greenery Day” was celebrated every week in the village.

A cleanliness drive was carried out on the river bank.

A story and poetry competition was held in the school on the topic of “Protection of Nature”.

Pakhi was chosen as the “Nature Friend” of the village.

She wrote on a wall –

“If there is no sun, then there is no life. So why don’t we save the earth and spread light like the sun.”

🌟 Moral of the Story:
Nature is our family.
If we don’t take care of it, it will go away from us.
Even small children can bring about big changes – just with a true intention.

-प्रिय पाठकों से निवेदन

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दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
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