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कुहू कुहू करती कोयल
गीत मधुर ये गाती
अपनी सुरीली आवाज़ से
सबके मन भा जाती
सुन के बोली कोयल की
घर बनते मीठे पकवान
सबको ये लगती प्यारी
सब करते उसका सम्मान
नहीं लगते पैसे कोई
मीठे बोल बोलने को
कोयल हमें यही सिखाती
बोलने से पहले तोलने को
सबसे प्यारी पक्षी कोयल
जहां कहीं भी जाती है
मन झूमने लगता है
‘दीप’ प्रेम जब बरसाती है
-दीपक कुमार ‘दीप’
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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