जीवन की आधारशिला
होती गुरु के हाथों में
उनके वचनों को अपनाओ
राज़ है उनकी बातें में
माता, पिता और गुरु ही
सच्चे मित्र होते हैं
इनका आदर जो ना करते
वो जीवन बाजी खोते हैं
गलती पर शिक्षक जब मारे
बुरा कभी ना मानो
वो चाहे तुम बनो मेधावी
बस अच्छा बनने की ठानो
शिक्षक हमेशा यही सिखाते
मेहनत से हर एक काम करो
मुश्किल कुछ भी नहीं दुनिया में
पढ़ लिख कर सबका नाम करो
चाहे जिस मुकाम पर जाओ पहुँच
अपने टीचर को ना जाना भूल
बनेगी इनसे ही किस्मत की रेखा
बस बनकर रहना चरणों की धूल
‘दीप’ नमन है ऐसे गुरु को
भाग्य हमारा जिन्होनें संवारा
उनकी बदौलत हैं आज कुछ हम
और हम जी रहे जीवन न्यारा
-दीपक कुमार ‘दीप’
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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