दशहरा पर हिंदी कविता | Dussehra Poem In Hindi

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Dussehra Poem In Hindi

हर युग में हमेशा ही होती रही
धर्म-अधर्म पाप की लड़ाई है
झूठ जितने भी बदल ले चोले  
हावी उसपे रही सदा अच्छाई है  

अभिमानी रावण ने छल से  
जब माँ सीता का हरण किया
ताले पड़ गए उसकी बुद्धि पर    
खुद मृत्यु का उसने वरण किया  

Dussehra Poem In Hindi
Dussehra Poem In Hindi

माँ सीता को लौटाने हेतु राम ने  
रावण से अनगिनत प्रयास किया
अंगद हनुमान को भी भेजा पर
रावण ने उनका ही उपहास किया

धर्म और सत्य हार नहीं सकता
चाहे जितना हो कोई बाहुबली
एक छोटी सी गलती के कारण  
दशानन रावण की लंका जली

Dussehra poem
Dussehra poem

इतने पर भी समझा नहीं वो
गवांये सवा लाख पोते नाती
कुल में कोई बच न सका जो
करे रावण के घर दिया बाती

दशहरा पर्व हमें यही सिखाता
सोचें जब भी सदा सोचें भला
न बुरा करें हम कभी किसी का  
‘दीप’ जीवन जीने की यही कला

दशहरा पर हिंदी कविता
दशहरा पर हिंदी कविता


-दीपक कुमार ‘दीप’, नई दिल्ली

सारांश:

दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है I

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, वैसे तो भारत देश अनेकानेक परम्पराओं और रीति रिवाज़ों से जुड़ा हुआ है, दशहरा, हिन्दू त्यौहारों में से एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसे हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इसी क्रम में नौ दिनों तक दुर्गा पूजा भी बड़े धूम धाम से कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है, दशहरा देवी दुर्गा की पूजा का भी महत्व रखता है। यह इस दिन देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करने की स्मृति में मनाया जाता है।

जब जब बुराई पर अच्छाई हावी हुई है, सत्य की हमेशा ही जीत हुई है, हमें भी बुराई का त्याग कर के सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

-प्रिय पाठकों से निवेदन

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