“राखी पर, भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित कविता।”
ये रक्षाबंधन है प्रेम का बंधन।
बहना मेरी मेरे घर का कुंदन।
धूप, पुष्प का थाल सजाकर
आई बहना करने पूजा वंदन।
जिए जुग-जुग भैया मेरा
हर रोज़ लगाऊं दीप व चन्दन।
मिले सफलता तुझे जहाँ में
जाये जहाँ तेरा हो अभिनन्दन।
तुझे खुशियों की सेज़ मिले
न देखूँ कभी तेरा करुण क्रंदन।
करूँ संभाल तेरी उस माली सी
बिखेर ख़ुश्बू अधरों पे नंदन।
मिलकर रहें ‘दीप’ बहन-भाई
ये याद दिलाता रक्षा बंधन।।
-दीपक कुमार ‘दीप’
भावार्थ:
राखी का त्योहार: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक
भाई-बहन के बीच प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक रक्षाबंधन/राखी का त्योहार, प्रतिवर्ष भारत ही नहीं समूचे विश्व में श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े आदर भाव के साथ मनाया जाता है। बहनें इस दिन अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनसे सुरक्षा का वचन लेती हैं। इस अवसर पर भाई भी अपनी अपनी बहनों को उपहार देकर और उनकी सदैव रक्षा करने का वचन देते हैं, जो उनके प्रेम, स्नेह और रिश्तों को मज़बूती प्रदान करते हैं। ये पर्व रिश्तों की गरिमा को तो बढ़ाते ही हैं साथ ही साथ परस्पर आपसी सहयोग और दृढ़ता को भी बल प्रदान करते हैं।
रक्षा बन्धन का इतिहास कोई नया नहीं बल्कि लाखों करोड़ों वर्षों पुराना है, कहा जाता है- द्वापर युग में शिशुपाल नाम का राजा भगवान श्रीकृष्ण को 100 गलियां दी थी, फिर भी श्रीकृष्ण ने उसके अपराध को क्षमा कर दिया, किन्तु जैसे ही शिशुपाल ने 101 वीं गाली दी, भगवान क्रोध में आ कर उसी समय सुदर्शन चक्र से उसका वध कर देते हैं। उस समय उनकी ऊँगली कट गई थी जिस पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण की ऊँगली पर बांधती हैं। श्रीकृष्ण ने उसी क्षण द्रौपदी को समय आने पर रक्षा करने का वचन दिया। द्यूतक्रीड़ा में जब पांडव द्रौपदी को हार गए तो उस समय दुर्योधन के आदेश पर दुशाशन ने द्रौपदी को नग्न करना चाहा। किन्तु द्रौपदी के बुलाने पर भगवान ने चीर (साड़ी) बढ़ा कर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की, तभी से ये पर्व मनाया जाता है।
राखी के त्योहार का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि ये भाई-बहन के रिश्ते को सशक्त बनाने का अवसर है। भारतीय संस्कृति में या यूँ कहें सनातन संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को विशेष महत्व दिया गया है। बहनें आरती कर तिलक लगाती हैं, फिर भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, तत्पश्चात मिठाइयां खिलाती हैं, इसके पीछे यही सन्देश छिपा होता है कि उनके जीवन में मिठास बनी रहे, प्रेम बना रहे, सद्भाव बना रहे।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्तों को समर्पित है जो एक-दूसरे के प्रति आपसी प्रेम और स्नेह को प्रकट करने का अवसर देता है। जो हमें ये सिखाता है कि परिवार में प्रेम, सुरक्षा और सहयोग कितना महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें ये भी याद दिलाता है कि रिश्ते समय और दूरी के बावजूद हमेशा मजबूत रहते हैं। इसलिए, आइए इस त्योहार को मिलकर प्रेम और आदर भावना के साथ मनाएं और भाई-बहन के रिश्ते की इस अनमोल भावना को और मजबूत करें।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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