माँ मुझको चाहिए
आसमान का एक तारा
झट से ला कर दे दो मुझको
खिलौना प्यारा प्यारा
माँ बोली बेटे से अपने
कैसे लाऊंगी मैं उसको
यहां नहीं वो दूर बहुत है
खिलौना कहता है तू जिसको
बच्चा रोने लगा चिल्लाने
मेरी मांग पूरी हो
एक दाना नहीं खाऊंगा
चाहे हलवा पूरी हो
अब तो माँ परेशान हो गई
झट थाली में पानी लाया
खिलौना अपने पास देख
बच्चा खूब मुस्कुराया…
मिल गया बेटे को मेरे,
खिलौना उसने जो मंगवाया
‘दीप’ सुनाकर लोरी माँ ने
बेटे को भर नींद सुलाया
-दीपक कुमार ‘दीप’
-प्रिय पाठकों से निवेदन
आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।
आप इसे भी देख सकते हैं-
5 बातें बढ़ा देंगी आपके लाइफ की कीमत
Average Rating