समाचार | अख़बार | Akhbar | News | Best Poem on Samachar 2025

0 0
Read Time:7 Minute, 35 Second

समाचार | अख़बार | Akhbar | News | Best Poem on Samachar 2025

समाचार, अख़बार कहें या डिजिटल मीडिया का बदलता स्वरूप कहें, बहुत तेज़ी से सब कुछ बदल रहा है, अख़बार तो फिर भी 24 घंटे बाद पढ़ने को मिलता है, किन्तु आज सोशल मीडिया के टाइम पर डिजिटल रूप में हमें News पहले ही मिल जाती है…

समाचार | अख़बार | Akhbar | News | Best Poem on Samachar 2025
समाचार | अख़बार | Akhbar | News | Best Poem on Samachar 2025

बन कर आईना रू-ब-रू कराता हमें
जागो ग्राहक जागो ये कहता समाचार
दर्द ख़ुशी मातम महंगाई के बीच में
हर रोज़ सुबह दस्तक देता अख़बार

चाय नाश्ते के साथ-साथ सफर पर
निकल पड़ते देखने देश की दुर्दशा
बलात्कार अश्लीलता हिंसा नरसंहार
राजनीति लूट ग़रीबी अमीरी व नशा

कभी ख़ामोशी कभी उदासी की धुन
बजती देख समाज का घिनौना रूप
गहरी चिन्ता संवेदना प्रकट कर पल
में ही भूल जाते रात अंधेरी काली धूप

News par Kavita: कच्ची पक्की चटपटी मसालेदार खबरें हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गई हैं
News par Kavita: कच्ची पक्की चटपटी मसालेदार खबरें हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गई हैं

कच्ची पक्की चटपटी मसालेदार खबरें
हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गई हैं
दुकान बस ट्रेन कालेज दफ्तरों में मजे
से सुनने सुनाने का किस्सा बन गई हैं

इतना पढ़ कर देख सुन कर भी लोग
क्यूँ नही समझ रहे ये चिंताजनक है
फिल्म मीडिया अख़बार परोस रहा है
ना जाने क्या कुछ यह कैसी सनक है

हृदय शून्य हो जाता, रूह कांप जाती अख़बार के पन्ने पढ़ कर
हृदय शून्य हो जाता, रूह कांप जाती अख़बार के पन्ने पढ़ कर

जिधर देखो उधर बस रेस लगी हुई है
खुद को उँचा और बेहतर मनवाने की
बिखर रहे है फूल इस चमन के आज
ज़रूरत है इसे चुन चुन कर सजाने की

सच कहूँ तो नफरत सी हो गई है ‘दीप’
हर एक पन्ने देखकर इस अख़बार के
रूह कांप जाती हृदय शून्य हो जाता
ऐसे रूप है आजकल ये समाचार के

-दीपक कुमार ‘दीप’ (Deepak kumar ‘deep’)

समाचार

समाचार का बदलता स्वरूप: सोशल मीडिया के टाइम पर डिजिटल रूप में हमें News पहले ही मिल जाती है
समाचार का बदलता स्वरूप: सोशल मीडिया के टाइम पर डिजिटल रूप में हमें News पहले ही मिल जाती है

समाचार, अख़बार कहें या डिजिटल मीडिया का बदलता स्वरूप कहें, बहुत तेज़ी से सब कुछ बदल रहा है, अख़बार तो फिर भी 24 घंटे बाद पढ़ने को मिलता है, किन्तु आज सोशल मीडिया के टाइम पर डिजिटल रूप में हमें News पहले ही मिल जाती है। न्यूज़ को दिखने बताने या हर जगह ब्रेकिंग न्यूज़ के चक्कर में हमारी आत्मा भी पढ़, सुन और देख कर मर चुकी है, वो ख़बर में कितनी सच्चाई है या नहीं ही पता नहीं पर सबसे पहले मैं उसे लोगों तक पहुँचा दूँ इससे मेरा चैनल, मेरा अखबार, मेरा मीडिया सबसे ज्यादा TRP गेन कर लेगा।

Translation Into English Language

Newspaper | Akhbar | News | Best Poem on Samachar 2025

Whether it is newspaper or the changing form of digital media, everything is changing very fast, even then we get to read newspaper after 24 hours, but today in the time of social media, we get news in digital form beforehand…

Becoming a mirror, it makes us face to face

Wake up customer, wake up, this is what the news says

In the midst of pain, happiness, mourning, inflation

The newspaper knocks every morning

Along with tea and breakfast, we set out on a journey

To see the plight of the country

Rape, obscenity, violence, massacre

Politics, loot, poverty, wealth and intoxication

Sometimes silence, sometimes the tune of sadness

Seeing the disgusting form of society playing

Expressing deep concern and sympathy,

we forget the dark night and the black sun in a moment

Rough and cooked spicy news

Has become a part of our life

It has become a story to be heard and narrated

with fun in shops, buses, trains, colleges, offices

After reading so much Even after seeing and hearing,

why are people not understanding this? This is worrying.

Film media is serving newspapers. Don’t know

What kind of madness is this?

Wherever you look, there is a race to

prove oneself superior and better.

The flowers of this garden are falling apart today.

There is a need to pick them and decorate them.

To tell you the truth, I have started hating ‘Deep’.

Seeing each page of this newspaper, the soul

trembles and the heart become empty.

Such is the form of news these days.

News

Be it news, newspaper or the changing form of digital media, everything is changing very fast, newspaper is still available to read after 24 hours, but today in the time of social media, we get news in digital form beforehand. In the process of showing and telling the news or breaking news everywhere, our soul has also died by reading, hearing and seeing it, we don’t know how much truth is there in that news or not, but first of all if I convey it to the people, my channel, my newspaper, my media will gain the maximum TRP.

-प्रिय पाठकों से निवेदन

आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।

-Request to dear readers

How did you like this poem of mine, please tell me by commenting, you must also share it with your friends and relatives, your suggestions are welcome. Your comments will give me a chance to write better and do better. An artist, writer, poet, creator wishes that people appreciate his work and he can share his creation with as many people as possible.

आप इसे भी देख सकते हैं-

अटल बिहारी वाजपेयी जी पर कविता

Veer Bal Diwas

प्रयागराज महाकुंभ 2025

नए साल में नई उमंग हो

Happy New Year 2025 Poem

सर्दी के दिन

भगवान की चेतावनी

शिक्षा जीवन का आधार

World Music Day 21 June

Best Poem on Summer Season

Beyond Love

कार्तिक का सपना पायलट बनना

ओकायो की दृढ़ इच्छा शक्ति की सच्ची कहानी

वो ही सच्चे वीर कहलाते

ज्ञान-विज्ञान प्रश्नोत्तरी | CHAPTER-3

कैसे स्वस्थ रहें हम

मीकू बन्दर की सूझ बूझ

पंडित जी की कहानी

छठ पर्व की बेला है- बेहतरीन कविता

दीवाली पर हिन्दी कविता

गोवर्धन पूजा हिन्दी कविता

पेड़ लगाएं पर्यावरण बचाएं

वायु प्रदूषण पर हिन्दी कविता

जल प्रदूषण पर कविता

समय की ताकत

5 बातें बढ़ा देंगी आपके लाइफ की कीमत

चींटी के ऊपर कविता

बसंत ऋतु पर कविता

भारत हमें जान से प्यारा

रतन टाटा पर कविता

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर कविता

महर्षि वाल्मीकि जयंती पर हिन्दी कविता

रिश्तों की अहमियत

करवा चौथ चांद की चांदनी में

एक ज़िंदा शहर हूँ मैं

About Post Author

chaturpandit.com

दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Comment