फिर भी रावण जला नहीं | Dussehra Poem In Hindi

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जला रहे रावण वर्षों से
फिर भी रावण जला नहीं

कर्म हैवानों से कर रहे
राम तो मन में बसा नहीं
मिलजुल कर आपस में
हमने प्रेम से रहा नहीं
कैसे आएगी खुशहाली
जब व्यंग्य बाण सहा नहीं

जला रहे रावण वर्षों से
फिर भी रावण जला नहीं

कर्म हैवानों से कर रहे
राम तो मन में बसा नहीं

फिर भी रावण जला नहीं
फिर भी रावण जला नहीं

आज जलेगा रावण फिर से
युगों से चल रही परंपरा है
हर घर में है कैकेयी और
आग लगाने वाली मंथरा है
भाई भरत सा मिलता नहीं
भाई को भाई से खतरा है
अहंकार, द्वेष, और झूठ का
हर ओर ही रोग ये पसरा है

जला रहे रावण वर्षों से
फिर भी रावण जला नहीं

कर्म हैवानों से कर रहे
राम तो मन में बसा नहीं

आज जलेगा रावण फिर से
आज जलेगा रावण फिर से

भाषा की मर्यादा लाँघ ‘दीप’
करते रहते कई काम हज़ार
हारी बुराई है सत्य के हाथों
ये भी करते हैं हम स्वीकार
फिर भी बातें हमें लोगों की
सुनने में क्यों लगतीं बेकार
लांघ कर लक्षमण रेखा को
माँ सीता गईं राम को हार

जला रहे रावण वर्षों से
फिर भी रावण जला नहीं


कर्म हैवानों से कर रहे
राम तो मन में बसा नहीं

-दीपक कुमार ‘दीप’

सारांश:

दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है I

दशहरा के ऊपर एक और हिंदी कविता

यह कविता दशहरे के पर्व की गहराई और उसके वास्तविक अर्थ को उजागर करती है। यह बताती है कि आज के समय में रावण केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि हमारे अंदर के अहंकार, द्वेष, और झूठ का प्रतिरूप है। जो हमें हमेशा बुराई की ओर ले जाती है, विनाश की ओर ले जाती है। सच्चे राम का गुण वाला व्यवहार हमें बुराइयों से भी बचाती है, ये ही सद्गुण मन के अंदर पलने वाले आंतरिक रावणों को जलाने के लिए काफी है।

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, वैसे तो भारत देश अनेकानेक परम्पराओं और रीति रिवाज़ों से जुड़ा हुआ है, दशहरा, हिन्दू त्यौहारों में से एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसे हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इसी क्रम में नौ दिनों तक दुर्गा पूजा भी बड़े धूम धाम से कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है, दशहरा देवी दुर्गा की पूजा का भी महत्व रखता है। यह इस दिन देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करने की स्मृति में मनाया जाता है।

दशहरा हिंदी कविता
दशहरा हिंदी कविता

दशहरा पर्व की सीख यही है कि ये दिन हमें दिखावे से परे जाकर मन की शांति देता है, सत्य और धर्म के मार्ग पर ले कर जाता है। जब जब बुराई पर अच्छाई हावी हुई है, सत्य की हमेशा ही जीत हुई है, हमें भी बुराई का त्याग कर के सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

रावण दहन हर साल दशहरे पर मनाया जाता है, जब बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। इस अवसर पर भव्य पंडाल सजाए जाते हैं और विशाल रावण के पुतले को जलाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण संस्कृति का हिस्सा है, जो एकता, भाईचारे और सकारात्मकता का संदेश देता है। आओ, मिलकर इस उत्सव को मनाएं और अपने अंदर के रावण को जलाएं!

-प्रिय पाठकों से निवेदन

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दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
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