नया साल हो उज्जवल और मंगलकारी- नव वर्ष कविता

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नया साल हो सबकी ख़ातिर
उज्जवल और हो मंगलकारी
भूख गरीबी ना हो कहीं पर
‘दीप’ सुखी हो दुनिया सारी।

नया साल पर हिन्दी कविता
नया साल पर हिन्दी कविता

इस दुनिया की रीत पुरानी
बाद सुबह के होती शाम
रंग बिरंगी इस दुनिया का
होना एक दिन काम तमाम।

प्रेम और मिलवर्तन बन जाए
हर एक हृदय का गहना हो
हँसी ख़ुशी से बीते ये ज़िन्दगी
माता पिता व भाई बहना हो।

जब समय दुःख का आता है
लाख हों अपने बदल जाते हैं
मानव हो कर भी भावनाओं
को हम समझ कभी न पाते हैं।

नव वर्ष की बेला पर आओ
हम सभी मिलकर लें ये प्रण
खुशियों में बिताएंगे हर पल
जीवन में आये जैसा भी क्षण।

नव वर्ष की बेला पर ये प्रण लें
नव वर्ष की बेला पर ये प्रण लें

हैप्पी न्यू ईयर कहने सुनने से
हरगिज़ नहीं अब काम चलेगा
मंगलमय जब होगा पल पल
दिल में हमेशा नया साल रहेगा।

बुरी आदतों दुष्कर्मों को छोड़ें
हरेक मानव की करें भलाई
‘दीप’ शुभ कर्मों से हो सकेगी
हमारे जीवन की पुण्य कमाई।

-दीपक कुमार ‘दीप’

नव वर्ष हो मंगलकारी

नया साल हो सबकी ख़ातिर
उज्जवल और हो मंगलकारी
भूख गरीबी ना हो कहीं पर
‘दीप’ सुखी हो दुनिया सारी।

आने वाला नया साल हर किसी के लिए बेहद उज्जवल और मंगल कामनाओं से युक्त करने वाला हो, जहाँ पर कोई भी ग़रीब और उसकी कभी न ख़त्म होए वाली ग़रीबी ना रहे, सभी लोग सुखी रहें। समस्त विश्व भर में रहने वाले मानव मात्र एवं प्रभु प्रेमियों को दुनिया के सभी सुख मिले। ऊपर लिखी हुई इन पंक्तियों में कहने का यही आशय है। इस अवसर पर हम सभी को ये प्रण लेना चाहिए चाहे ख़ुशी के पल हों या दुःख के पल हों, यदि मिलजुल कर बड़े प्रेम और सहजता व सजगता के साथ मनाएं तो हर दिन एक जैसा लगेगा।

हैप्पी न्यू ईयर

Happy New Year Poem 2025
Happy New Year Poem 2025

हैप्पी न्यू ईयर कहने सुनने से
हरगिज़ नहीं अब काम चलेगा
मंगलमय जब होगा पल पल
दिल में हमेशा नया साल रहेगा।

नववर्ष पर हम भगवान से यही प्रार्थना और कामना करें कि जितनी भी बुराई और बुरी आदतों में फंसे हुए वो सभी त्याग दें और स्वयं ऐसा जीवन जीएं जो स्वयं के लिए भी और दूसरों के लिए भी प्रेरणा का कारण बन सके। सिर्फ हैप्पी न्यू ईयर कहने से काम नहीं चलेगा। ये नूतन वर्ष हमें अपनी हर बुराई को छोड़ने के लिए संकल्पित होने का समय होता है। अच्छे और बुरे दोनों का ही निर्णय स्वयं हमारे ऊपर ही होता है।

कहीं भी कोई अप्रिय घटना ना घटे, फिर चाहे कोई आतंकवादी गतिविधि हो, या किसी की अकाल मृत्यु हो। सभी एक दूसरे की शुद्ध भावनाओं की क़द्र करते हुए और समस्त मानव मात्र के प्रति कल्याण भाव को हृदय में धारण करके नववर्ष के आगमन का दिल से स्वागत करें।

-प्रिय पाठकों से निवेदन

आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।

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About Post Author

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दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
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