दिमाग मजबूत कैसे करें | How to strengthen your mind | मष्तिस्क को स्वस्थ रखने के 8 तरीक़े | Control your brain | 8 ways healthy brain
आपने कई बार लोगों से ये कहते हुए अवश्य सुना होगा “दिमाग काम नहीं कर रहा है, बहुत टेंशन है” ऐसा लगता है जैसे “दिमाग फट जाएगा, कुछ समझ नहीं आ रहा है, क्या करें” वगैरह वगैरह, आपने सोचा है ऐसी स्थिति आती क्यों है, दरअसल जब हमारा दिमाग शांत होता है, दिमाग में किसी तरह की कोई हलचल नहीं होती है तो हम प्रत्येक काम को बड़े ही अच्छे ढंग से सोच विचार करके काफी उत्साहपूर्वक करते हैं, अच्छा सोचते हैं, सभी लोगों के साथ प्रेमपूर्वक सदव्यहार भी करते हैं, हम अपने साथ साथ दूसरों के जीवन में भी खुशियों के रंग बिखेरते हैं और समाज में भी अच्छे बदलाव लाने में सक्षम होते हैं और ये सब होता है जब आप मानसिक रूप से स्वस्थ हों, मज़बूत हों l
ये हरगिज़ ज़रूरी नहीं है कि आपके जीवन में हमेशा आपका अच्छा वक़्त हो, कभी कभी बुरे वक़्त भी चट्टान के समान हमारे समक्ष आ खड़े होते हैं और उन तकलीफों की अवधि बेशक कम या ज्यादा हों वे व्यक्ति को काफी हद तक झकझोर कर रख देते हैं और हम सभी उसका सामना कर पाने में खुद को काफी असहज स्थिति में पाते हैं क्यूंकि हमें उसके सफल होने से ज्यादा उसकी असफलता के सपने आने लगते हैं, किन्तु यदि हम अपने मस्तिष्क को सक्षम बनायें और उन परेशानियों का सामना करने के लिए अपनी कमर कस लें तो निश्चित ही हम अपने मक़सद में क़ामयाब हो जाते हैं, तो आइये आज हम इस वीडियो में बात करेंगे उन सभी बिंदुओं पर जिससे हम मानसिक रूप से स्वयं को मज़बूत बना सकते हैं l वीडियो को पूरा अवश्य देखिएगा, क्यूंकि वीडियो पूरा देखने के बाद आप खुद को किसी भी प्रकार के मुश्किलों से निकालने में सफल हो पायेंगे l
एक बार महात्मा बुद्ध आश्रम में अपने शिष्यों को मस्तिष्क के ऊपर उपदेश दे रहे थे, कि कभी हमारे विचार अच्छे होते हैं तो कभी बुरे, अच्छे विचार सदैव हमें शांति व संतोष प्रदान करते हैं जिससे हम कल्याणकारी कार्य करते हैं जबकि बुरे विचारों से गलत भावनाओं को जन्म होता है, जो हमें अशांति व असंतोष प्रदान करते हैं जिससे हमारा पतन हो जाता है, सभी शिष्य महात्मा बुद्ध की ये गूढ़ बातें बड़े ध्यानपूर्वक सुन रहे थे, उन शिष्यों में से एक राजवंत नाम का शिष्य भी था, उसने खड़े हो कर हाथ जोड़ कर महात्मा बुद्ध से पूछा, गुरुवर क्या हम अपने मष्तिस्क को शक्तिशाली बना सकते हैं?
महात्मा बुद्ध ने हाँ में सर हिलाते हुए कहा- अवश्य, जब हम कोई बात सोचते हैं तो वो बात सबसे पहले हमारे मस्तिष्क में आती है और शरीर, मस्तिष्क के संकेत को समझ कर उसके ऊपर कार्य भी करने लग जाता है, जैसे जब आप दुःख भरी बातें करते हैं, तो आप शिथिल पड़ जाते हैं, लगातार ऐसी मायूसी भरी बातें सुन कर आपके शरीर की ऊर्जा भी कम होने लगती है, वहीं दूसरी ओर जब आप कोई ख़ुशी की बात करते हैं, उत्साह की बातें करते हैं तो आपका रोम रोम खिल उठता है, पूरे शरीर में असीमित ऊर्जा बहने लगती है और ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकि आपने अपने मष्तिष्क में काफी जोश से भरी बातें सोची, तो पूरा शरीर असीमित ऊर्जा से भर उठा, यद्यपि शरीर तो वो ही है उसमें रत्तीमात्र भी फर्क नहीं है, किन्तु जब आपने नकारात्मक बातें अपने दिमाग में सोची तो शरीर में नेगिटिव तरंगें आपके ऊपर हावी हो गईं, इसका अर्थ ये हुआ कि सब कुछ हमारे सोचने पर निर्भर करता है कि आप कब, कैसे और क्या सोचते हैं l अच्छी बातें सुनेंगे या सोचेंगे तो आप सदैव ऊर्जावान बने रहेंगे और ग़लत बातें सोचेंगे तो दिमाग हमेशा नकारात्मक बातें ही करेगा और आपके साथ भी हमेशा सब कुछ नेगेटिव ही होगा l
महात्मा बुद्ध आगे कहते हैं कि
मष्तिस्क को स्वस्थ और मज़बूत बनाने के आठ तरीके हैं
सभी शिष्य बड़े ध्यान से इस गूढ़ रहस्य को सुन रहे थे l
पहला तरीका है: जो समय बीत चुका है उसकी चिंता मत करो
– महात्मा बुद्ध ने कहा,
फिर थोड़ा गंभीर होकर शिष्यों से पूछा कि अच्छा ये बताओ- सूर्य किस दिशा से निकलता है
गुरुवर पूर्व दिशा से निकलता है- शिष्यों के कहा
महात्मा बुद्ध ने पुनः थोड़ा गंभीर हो कर पूछा- सूर्य पच्छिम दिशा ने क्यों नहीं निकलता
शिष्यों ने कहा – गुरुवर सूर्य तो सदैव पूर्व दिशा से ही निकलता है, ये तो प्रकृति का शाशवत नियम है, इसे कोई नहीं बदल सकता
महात्मा बुद्ध ने पुनः कहा- बारिश हो रही हो और यदि मैं कहूँ की बारिश बंद हो जाए तो क्या बंद हो जायेगी?
शिष्यों से नहीं कहते हुए अपना सिर हिलाया और कहा यदि मौसम में जब परिवर्तन होगा तभी बारिश बंद होगी या चालू होगी, किसी के बोलने या कहने से बारिश बंद नहीं होगी, कोई भी मौसम या ऋतुएँ हों वो सब कुछ प्रकृति के अपने ऊपर निर्भर करता है, कि कब क्या कैसे होना है l
ठीक इसी प्रकार जब हो होना है वो हो कर रहेगा उसे लेकर चिंता मत करो l कोशिश करो उसे भुला कर आने वर्तमान और अपने भविष्य की नई गाथा लिखो l
ध्यान लगाने की आदत बनाओ ये दूसरा तरीका है- गुरुवर ने कहा
ध्यान लगाने से हमारा मन और मष्तिष्क पूरी तरह से शांत हो जाता है, इसके द्वारा आप अपनी इन्द्रियों को नियंत्रण में रख कर मन की गहराइयों से असीमित ज्ञान ही नहीं अपितु बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं और समस्याओं से छुटकारा भी पा सकते हैं l
किसी से बहुत ज्यादा उम्मीद मत रखना- ये तीसरा तरीका है मानसिक रूप से सशक्त होने का
संसार में सभी रिश्ते नाते व्यक्ति के जीवित रहते हुए ही हैं और इसी वजह से व्यक्ति अपनी हर छोटी बड़ी कामनाओं, इच्छाओं को पूरा करने के लिए सभी से उम्मीद लगा बैठता है और जब यही उमीदें उसके सपनो को पूरा ना करने का कारण बनती हैं तो व्यक्ति अंदर से पूरी तरह टूट जाता है, अपने आपको दोष दे कर समाज, रिश्ते नातों को अनुचित ठहराता है और स्वयं में भी अवसाद से भर जाता है दुखों से भर जाता है, चिंताओं में घिर जाता है, इसके विपरीत यदि हम किसी से कोई उम्मीद ही ना रखें तो जीवन में हमें किसी से कोई आपत्ति नहीं होगी और जीवन भी बेवजह की उमीदों से मुक्त रहेगा l कई बार ऐसा देखने में आता है माता पिता भी अपने बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीद लगा बैठते हैं, मेरा बेटा ये बनेगा वो बनेगा, क्यूकि माता पिता ने अपने जीवन काल में जो चीजें हासिल नहीं कर सके, वो उन सपनों को पूरा होते अपने बच्चों में देखना चाहते हैं, यदि बच्चा उनके सपनों के मुताबिक लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो माता पिता खुश हो जाते हैं और नहीं हुआ तो दुखी होते हैं, मेरी सभी माता पिता से करबद्ध प्रार्थना है आप उन्हें संस्कार दें अपने सपने अपने बच्चों पर ना थोपें, बच्चे की जो रूचि होगी और बच्चा जिस कार्य को करके उसे अपने जीवन का लक्ष्य बनाना चाहे, उसे पूरा करने में आप बच्चे की मदद करें, उससे भविष्य में बच्चा आपको कभी भी दोष नहीं देगा कि चूकि माता पिता चाहते थे इसलिए मैंने ये किया, उसे अपने दायित्वों पर छोड़ दें वो जो भी करे अच्छा करे बेहतर करे, इसे वो अपने सपनो को पूरा करने में अपनी जान लगा देगा l
चौथा तरीका है असफलता से कभी मत घबराओ
अपने लक्ष्य को पाने के लिए आपको अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए, इस दौरान अगर आप डर गए कि कहीं मैं फेल ना हो जाऊं तो आप कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे, डर व्यक्ति के आत्मविश्वास को इतना कमज़ोर कर देता है कि सोते जागते हर समय आपको सिर्फ उसी डर का ख्याल आता रहेगा, जिसके कारण ना तो आप ठीक से सो पाएंगे, ना कोई काम कर पाएंगे, धीरे धीरे यही अवस्था डिप्रेशन की ओर ले कर जाती है, असफलता का विचार अपने दिल और दिमाग में आने ही मत दो, इसलिए ज़रूरी है आप डर कर कोई काम ना करें, जैसे सपने हों उसी अनुसार आपके कार्य की दिशा होनी चाहिए, क्यूंकि दिशा ठीक होगी तो दशा अपने आप ही बदल जाएगी l
स्वयं को कोसना बंद करो, ये पांचवा तरीका है
ज़िन्दगी में सबको अपने मकसद को हासिल करने के लिए अथक परिश्रम करना पड़ता है, फिर वो चाहे कोई भी कार्य क्षेत्र क्यूँ ना हो, जब कभी आपको अपनी सोच के मुताबिक परिणाम ना मिले तो कभी खुद को कोसना मत, अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि हम कोई काम बहुत ही मेहनत से करते हैं, किन्तु हमें सफलता नहीं मिलती है, तो हम व्यवस्थाओं, माहौल, स्थितियों परिस्थितियों, घर, माता पिता, भाई बहन, पत्नी बच्चे ना जाने किस किस को दोष देना शुरू कर देते हैं, किन्तु ऐसा करना गलत है l उदाहरण के लिए जैसे कोई पेड़ है उस पर सबसे पहले कौन चढ़ेगा गिलहरी, बन्दर, हाथी या शेर-महात्मा बुद्ध ने शिष्यों से पूछा l
शिष्यों के कहा- गुरुवर सबसे पहले तो गिलहरी ही पेड़ पर चढ़ेगी, महात्मा बुद्ध ने फिर पूछा- कि हाथी शेर इत्यादि जानवर अगर ये सोचें कि मैं तो किसी लायक नहीं हूँ, मैं पेड़ पर नहीं चढ़ पाया और ये सोच कर दुखी रहने लग जाएँ तो बताओ वो हाथी भला कितने दिन जीवित रहेगा, कहने का मतलब ये है कि हर आदमी के काम करने का उसकी कला का देखने समझने का तरीका अलग अलग होता है अर्थात दिमाग सभी का अलग अलग होता है कोई किसी काम में कुशल होता है तो कोई किसी काम में, बस हमें अपने अंदर की छिपी हुई शक्ति और कला को खोज निकालना है और उसी कला को अपना आधार बना कर सर्वोच्च पद को प्राप्त करना है l
अपनी ऊर्जा को व्यर्थ बर्बाद मत करो ये छठा तरीका है
आप सभी के अंदर अपार ऊर्जा का भण्डार छिपा हुआ है, कभी भी इस ऊर्जा को गलत स्थान पर गलत लोगों के ऊपर खर्च मत करना, इसलिए आप अपनी ऊर्जा को सही स्थान पर लगाओ तभी सही मायनों में आप सफल होंगे अगर अपनी शक्ति को ग़लत जगह पर लगाएंगे तो कभी भी सफल नहीं होंगे l
गुरुवर कहते हैं
हमेशा सुनों सभी की बातें पर करो सदैव अपने मन की ये सातवां तरीका है
आप अपने अन्दर की क्षमता को पहचानों, अपनी क्षमता के हिसाब से ही काम करो, बेशक आपको लोग कहें कि वो तो इतना काम कर लेता है, तुम ये काम नहीं कर सकते, तुम्हें बहुत ज्यादा समय लगता है फलां काम करने में, फलां व्यक्ति जल्दी से कर देता है, वो इतना खाना खा लेता है, शराब पी लता है, नशा कर लेता है उसे कुछ नहीं होता, तो कभी भी ऐसे दावों में मत फंसना, हमेशा अपनी क्षमता को समझ कर ही काम करना क्यूंकि शरीर आपका अपना है उसके बारे में आपको स्वयं ही देखना होगा कोई और आपके बारे में ध्यान नहीं रखेगा l
कम बोलना ये आठवां तरीका है मानसिक रूप से मज़बूत बनने का
जो लोग कम बोलते हैं और अपने काम पर ज्यादा फोकस करते हैं, बेवजह बोलने वाला व्यक्ति अपनी ऊर्जा को नष्ट कर देता है ऐसा व्यक्ति सोचता कम है और उसे हमेशा यही लगेगा कि उसे सोचने का समय नहीं मिला, ठीक इसके विपरीत जो लोग कम बोलते हैं, उसे सोचने का समय ज्यादा मिलता है, वो अपनी बात को सामने वाले व्यक्ति के समक्ष और बेहतर ढंग से रख पाता है l एक अच्छे वक्ता से कई लाख गुणा एक अच्छा श्रोता होता है, इसलिए कम बोलो और ज्यादा सुनने पर अपना ध्यान केंद्रित करो, अपनी ऊर्जा को सोचने में लगाओ ना कि बेवजह बोलने में l
तो ये थे वो आठ तरीके जिसका पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी जो व्यक्ति करेगा वो व्यक्ति अपने मन को अपनी मानसिक स्थिति को बहुत ज्यादा मज़बूत बना पायेगा, फिर कोई भी समस्या ऐसी नहीं जिसे आप पराजित नहीं कर सकते आप हमेशा हर क्षेत्र में अपना सर्वोच्च और बेहतर प्रदर्शन करोगे l
आपको ये लेख कैसा लगा कमेंट करके अवश्य बताएं l
-दीपक कुमार ‘दीप'(Deepak Kumar ‘deep’)
TRANSLATION INTO ENGLISH LANGUAGE
How to strengthen your mind | How to strengthen your mind | 8 ways to keep your brain healthy | Control your brain | 8 ways healthy brain
Many times you must have heard people saying “My brain is not working, there is a lot of tension” it seems as if “my brain will explode, I am not able to understand anything, what to do” etc. Have you thought why such a situation arises? Actually when our brain is calm, there is no disturbance of any kind in the brain, then we do every work very enthusiastically after thinking well, think good, behave lovingly with all the people, we spread the colors of happiness in our lives as well as in the lives of others and are able to bring good changes in the society as well and all this happens when you are mentally healthy, strong.
It is not at all necessary that you always have good times in your life, sometimes bad times also stand in front of us like a rock and the duration of those troubles may be less or more but they shake up the person to a great extent and we all find ourselves in a very uncomfortable situation in facing it because we do not have to face it. He starts having more dreams of his failure than his success, but if we make our brain strong and prepare ourselves to face those problems, then we definitely succeed in our aim. So come, today in this video we will talk about all those points by which we can make ourselves mentally strong. Do watch the video completely, because after watching the video completely, you will be able to get yourself out of any kind of difficulties.
Once Mahatma Buddha was preaching about the brain to his disciples in the ashram, that sometimes our thoughts are good and sometimes bad, good thoughts always give us peace and satisfaction, due to which we do welfare work, whereas bad thoughts give birth to wrong feelings, which give us unrest and dissatisfaction, due to which we fall, all the disciples were listening to these profound words of Mahatma Buddha very carefully, among those disciples there was also a disciple named Rajwant, he stood up and asked Mahatma Buddha with folded hands, Guruvar, can we make our brain powerful?
Mahatma Buddha nodded his head and said – Of course, when we think of something, that thought first comes to our mind and the body understands the signal of the brain and starts working on it, like when you talk about sad things, you become lethargic, by continuously listening to such sad things, the energy of your body also starts decreasing, on the other hand, when you talk about something happy, something enthusiastic, then every pore of your body blossoms, unlimited energy starts flowing in the whole body and this happened because you thought about very enthusiastic things in your mind, then the whole body got filled with unlimited energy, although the body is the same, there is not even an iota of difference in it, but when you thought negative things in your mind, then negative waves in the body dominated you, it means that everything depends on our thinking, when, how and what you think. If you listen or think good things, then you will always remain energetic and if you think negative things, then the mind will always think negative things and everything will always be negative with you too. l
Mahatma Buddha further says that
There are eight ways to make the brain healthy and strong
All the disciples were listening to this secret very carefully.
The first way is: do not worry about the time that has passed
- Mahatma Buddha said,
Then getting a little serious, he asked the disciples, tell me- from which direction does the sun rise?
Guruvar, it rises from the east direction- the disciples said
Mahatma Buddha again getting a little serious asked- why does the sun not rise from the west direction?
The disciples said- Guruvar, the sun always rises from the east direction, this is the eternal law of nature, no one can change it
Mahatma Buddha again said- if it is raining and I say that the rain should stop, will it stop? He shook his head while saying no to his disciples and said that the rain will stop or start only when there is a change in the weather. The rain will not stop because of someone’s words or advice. Whatever the weather or seasons, everything depends on nature itself, when and how what will happen.
Similarly, when it has to happen, it will happen. Do not worry about it. Try to forget it and write a new story of the present and your future.
Make it a habit to meditate. This is the second way – Guruvar said
By meditating, our mind and brain become completely calm. By this, by keeping your senses under control, you can not only gain unlimited knowledge from the depths of the mind but can also get rid of problems.
Do not expect too much from anyone – This is the third way to become mentally strong
All the relationships in the world exist only when a person is alive and due to this, a person expects everyone to fulfill all his small and big wishes and desires and when these expectations are shattered, then he gets angry and starts crying. If dreams become the reason for not being fulfilled then the person gets completely broken from inside, by blaming himself, he considers society and relationships to be unfair and gets filled with depression and sorrows and gets surrounded by worries. On the contrary, if we do not keep any expectations from anyone then we will not have any objection from anyone in life and life also becomes free from unnecessary expectations.
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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