हक़ीक़त का आईना | ये ज़रूरी तो नहीं | Thoughtful Poetry

Thought of the day

हक़ीक़त का आईना | Thoughtful Poetry | समाज में बदलते परिवेश को देखते हुए प्रस्तुत है मेरी कविता- नज़दीक हों फिर भी पास हों ये ज़रूरी तो नहींदिल्लगी हो और मुहब्बत भी ये मजबूरी तो नहीं उभरी हैं शक्ल पर अजीब सी बेचैनी और शिकन परख लें अपनी हसरतों को कहीं अधूरी तो नहीं सुख दुःख … Read more