Ek Zinda Shahar Hoon Main | True Life Of Metro Cities | शहर पर कविता

True Life Of Metro Cities

उस राह से नहीं अंजान ना ही बेखबर हूं मैं चले आना देखने मुझे एक जिंदा शहर हूं मैं भागमभाग लगी हुई है हर चेहरा मुरझाया हैमकड़ी के जाल सा ख़ुद को ही उलझाया हैख़्वाब पीले पड़े हैं एक मंजिल की तलाश मेंघुट रहा दम यहां खो कर सुकून की प्यास मेंदिन क्या रात भी … Read more