नया साल हो उज्जवल और मंगलकारी- नव वर्ष कविता
नया साल हो सबकी ख़ातिरउज्जवल और हो मंगलकारीभूख गरीबी ना हो कहीं पर‘दीप’ सुखी हो दुनिया सारी। इस दुनिया की रीत पुरानीबाद सुबह के होती शामरंग बिरंगी इस दुनिया काहोना एक दिन काम तमाम। प्रेम और मिलवर्तन बन जाएहर एक हृदय का गहना होहँसी ख़ुशी से बीते ये ज़िन्दगीमाता पिता व भाई बहना हो। जब … Read more