फिर भी रावण जला नहीं | Dussehra Poem In Hindi
जला रहे रावण वर्षों सेफिर भी रावण जला नहींकर्म हैवानों से कर रहेराम तो मन में बसा नहींमिलजुल कर आपस मेंहमने प्रेम से रहा नहींकैसे आएगी खुशहालीजब व्यंग्य बाण सहा नहीं जला रहे रावण वर्षों सेफिर भी रावण जला नहीं कर्म हैवानों से कर रहेराम तो मन में बसा नहीं आज जलेगा रावण फिर सेयुगों … Read more