फिर भी रावण जला नहीं | Dussehra Poem In Hindi

dussehra poem in hindi

जला रहे रावण वर्षों सेफिर भी रावण जला नहींकर्म हैवानों से कर रहेराम तो मन में बसा नहींमिलजुल कर आपस मेंहमने प्रेम से रहा नहींकैसे आएगी खुशहालीजब व्यंग्य बाण सहा नहीं जला रहे रावण वर्षों सेफिर भी रावण जला नहीं कर्म हैवानों से कर रहेराम तो मन में बसा नहीं आज जलेगा रावण फिर सेयुगों … Read more

दशहरा पर हिंदी कविता | Dussehra Poem In Hindi

Dussehra Poem In Hindi

Dussehra Poem In Hindi हर युग में हमेशा ही होती रहीधर्म-अधर्म पाप की लड़ाई हैझूठ जितने भी बदल ले चोले  हावी उसपे रही सदा अच्छाई है   अभिमानी रावण ने छल से  जब माँ सीता का हरण कियाताले पड़ गए उसकी बुद्धि पर    खुद मृत्यु का उसने वरण किया   माँ सीता को लौटाने … Read more