Koyal Kavita I कुहू कुहू करती कोयल

koyal ke upar kavita

कुहू कुहू करती कोयलगीत मधुर ये गातीअपनी सुरीली आवाज़ सेसबके मन भा जाती सुन के बोली कोयल कीघर बनते मीठे पकवानसबको ये लगती प्यारीसब करते उसका सम्मान नहीं लगते पैसे कोईमीठे बोल बोलने कोकोयल हमें यही सिखातीबोलने से पहले तोलने को सबसे प्यारी पक्षी कोयलजहां कहीं भी जाती हैमन झूमने लगता है‘दीप’ प्रेम जब बरसाती … Read more