सांसों में घुल रहा ज़हर I वायु प्रदूषण पर कविता I Air Pollution Poem
वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है, इसी पर आधारित मेरी ये कविता है, जिसमें कारण, दुष्प्रभाव और समाधान, तीन विषयों को छूने का प्रयास किया है। सांसों में घुल रहा ज़हर सहमा हुआ है आदमीशहर की गलियों में फैला धूल धुएं का अंबार हैहर सुबह धुंधली लगे शाम भी लगती काली हैहर किसी की सेहत … Read more