दशहरा पर हिंदी कविता | Dussehra Poem In Hindi

Dussehra Poem In Hindi

Dussehra Poem In Hindi हर युग में हमेशा ही होती रहीधर्म-अधर्म पाप की लड़ाई हैझूठ जितने भी बदल ले चोले  हावी उसपे रही सदा अच्छाई है   अभिमानी रावण ने छल से  जब माँ सीता का हरण कियाताले पड़ गए उसकी बुद्धि पर    खुद मृत्यु का उसने वरण किया   माँ सीता को लौटाने … Read more