हाल-ए-दिल | Ghazal | “Naa Karo” Best Poetry Ever
हाल-ए-दिल अपना, गैरों से सुनाया ना करो। दर्द है ग़र दिल में, हरगिज़ छुपाया ना करो। हैं सभी गैर यहाँ पर, अपना नहीं कोई यार है,बेवजह ख़ून के रिश्ते यहाँ, तुम बनाया ना करो। मुमकिन नहीं राहों में हमें , सब को संभालना,ग़र उठा सकते नहीं, कभी गिराया ना करो। आँखों में चुभती है, दुनिया … Read more