Ek Zinda Shahar Hoon Main | True Life Of Metro Cities | शहर पर कविता

True Life Of Metro Cities

उस राह से नहीं अंजान ना ही बेखबर हूं मैं चले आना देखने मुझे एक जिंदा शहर हूं मैं भागमभाग लगी हुई है हर चेहरा मुरझाया हैमकड़ी के जाल सा ख़ुद को ही उलझाया हैख़्वाब पीले पड़े हैं एक मंजिल की तलाश मेंघुट रहा दम यहां खो कर सुकून की प्यास मेंदिन क्या रात भी … Read more

कुहू कुहू करती कोयल | Koyal Kavita | Best Koyal Poem 2025

koyal ke upar kavita

कुहू कुहू करती कोयल | Koyal Kavita | Best Koyal Poem 2025 कुहू कुहू करती कोयलगीत मधुर ये गातीअपनी सुरीली आवाज़ सेसबके मन भा जाती सुन के बोली कोयल कीघर बनते मीठे पकवानसबको ये लगती प्यारीसब करते उसका सम्मान नहीं लगते पैसे कोईमीठे बोल बोलने कोकोयल हमें यही सिखातीबोलने से पहले तोलने को सबसे प्यारी … Read more