Motivational Poem in Hindi

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Last updated on October 21st, 2024 at 07:27 pm

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आपने कविताएं बहुत पढ़ी और सुनी भी होंगी, किन्तु ये कविता पढ़ने के बाद आप सोचने पर विवश हो जाएंगें I

कविता का शीर्षक है “अच्छा नहीं लगता”

किसी का दिल दुखाकर कुछ पाना अच्छा नहीं लगता
किसी का दिल दुखाकर कुछ पाना अच्छा नहीं लगता

सब कुछ हासिल कर के हार जाना, अच्छा नहीं लगता
किसी का दिल दुखाकर कुछ पाना, अच्छा नहीं लगता II  

यूं तो संघर्ष बिना ना मोती मिलते हैं, ना मुकद्दर बनता है
बात बात पर रूठने वाले को मनाना, अच्छा नहीं लगता II  

इंसान की कीमत का अंदाज़ा, उसके लब के दो बोल हैं
अच्छा होने का ढोंग करना ये बहाना, अच्छा नहीं लगता II  

फितरत सुधर जाए गर अपनी, हर इंसान लगे फरिश्ता
कर के अहसान उसे बार बार जताना, अच्छा नहीं लगता II  

कानों को भी सुनाई ना दे, निन्दा चुगली बुराई औरों की
जानलेवा मर्ज़ है जिसे सुनना सुनाना, अच्छा नहीं लगता II  

तराशे हुए हैं सभी एक ईश्वर के हाथों, फिर वैर विरोध क्यूं? 
अपने हैं सभी अपनों का खून बहाना, अच्छा नहीं लगता II  

किसी का हाल चाल पूछ लेना, उसकी सलामती के लिए
रब खुश होगा, क्या रोते हुए को हंसाना अच्छा नहीं लगता? II 

-दीपक कुमार ‘दीप’

ह्रदय के भाव

आज संसार में हर तरफ लड़ाई-झगड़ों का शोर है, हर ओर ही स्थिति मानवता के लिए बेहद चिंताजनक है I हमारा प्रयास यही होना चाहिए कि हम सभी लोग प्रेम से रहें I आख़िर क्या फायदा अगर सब कुछ हासिल भी हो जाए, मगर उन सुखों का भोग करने के लिए आपके पास आपके अपने लोग ही ना हों, इसलिए यह ज़रूरी है कि जो भी मानवता के हितैषी हैं और अपने आस पास शांति और सुकून से रहना चाहते हैं, तो वो कार्य करें जिससे मानवता खिल उठे, मुस्कुराए I अच्छे लोगों की संगति में बैठना उठना चाहिए, क्यूंकि जिसके पास जो चीज होगी वो आपको वही चीज देगा I प्रेम करने वाले के पास प्रेम और नफ़रत करने वाले के पास नफ़रत, इसका चुनाव हमें स्वयं करना होगा पूरी तरह से जागरूक होकर I ये कहावत तो सुनी ही होगी “गेहूं के साथ साथ घुन भी पिस जाता है”, इसलिए बेहतर है हमेशा अपने कर्म को लोगों की भलाई के लिए, समाज की भलाई के लिए, देश की भलाई के लिए बनाएं I

EQUALITY POEM
EQUALITY POEM

शेयर बाज़ार में लगाए हुए पैसे अगर डूब जाएं तो तकलीफ़ बहुत ज़्यादा होती है, किन्तु अगर इंसानियत गिर जाए, समाप्त हो जाए, ख़त्म हो जाए फिर तो पूरी मानव जाति पर ही संकट आ जायेगा I इंसान की कीमत तभी तक है जब तक उसके अन्दर सदगुण है, प्रेम है, कुछ नया करने की चाहत है I

मैंने इस कविता के माध्यम से अपने ह्रदय के भाव आप पाठकों के समक्ष रखा है I मानवता आज सम्पूर्ण मानव जाति के लिए सबसे ज़रूरी हो गई है I आशा है आपको काव्य का ये दूसरा रूप अवश्य पसन्द आएगा I

-प्रिय पाठकों से निवेदन

आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।

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About Post Author

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दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
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