करवा चौथ पर कविता, इस कविता में मैंने विवाहित पुरुषों का एवं विवाहित महिलाओं के दृष्टिकोण व उनके आपसी प्रेम को भी बताया है, एक बार अवश्य पढ़ें-
करवा चौथ के अवसर पर हे प्रिये
आज तुमसे मैं ये सच सच कहता हूं
चाहे हो जितने तू तू मय मय फिर भी
मैं तो बस तुम्हारे ही दिल में रहता हूं
रहती हो सुख दुःख की साथी बनकर
घर परिवार आंगन सब कुछ संभाले हैं
घर की लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती भी तुम हो
सूरज की किरणों सा किए उजाले हैं
निर्जला व्रत रखा है उम्र हो जाए लंबी
चाँद की प्रतीक्षा में हर पल लगता भारी
पवित्र है पति प्रेम में तप त्याग तुम्हारा
खुश देखना चाहे है उम्र जितनी हमारी
बहुत जतन करती हो ताने भी सहती
मैं भी सुख और खुशियां दे पाऊं तुम्हें
चांद तारों की चमक फीकी सी लगती
मुखड़ा देखके मैं बलि बलि जाऊं तुम्हें
अनमोल तुम्हारा प्रेम, लफ़्ज़ भी कम है
ये पर्व याद दिलाता तुम मेरा अभिमान हो
करवा चौथ चांद की चांदनी में छिपा हुआ
सादगी भरा श्रृंगार और मेरा सम्मान हो
सभी महिलाओं बहनों को शुभकामनाएं
हर साल आपके भी जीवन में पल ये आए
गाओ गीत और खुशी मनाओ मिलकर सारे
‘दीप’ कहीं कभी कोई भी कमी रह ना पाए
-दीपक कुमार ‘दीप’
भारतीय सनातन संस्कृति में नारी शक्ति का योगदान पुरुषों की अपेक्षा काम नहीं है, अपितु कहीं अधिक है । इसके बावज़ूद भारतीय हिन्दू विवाहित महिलाएं अपने पति को परमेश्वर की तरह पूजती हैं, उनका सम्मान करती हैं, पति पत्नी के इसी प्रेम को और भी प्रगाढ़ करने के लिए विविहिता हिन्दू स्त्री “करवा चौथ” का पर्व अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं। सम्पूर्ण उत्तर भारत में मनाया जाने वाला ये त्योहार अपने आप में ही विशेष है ।
करवा चौथ का ये पर्व पति-पत्नी के बीच न केवल एक अटूट प्रेम सम्बन्ध का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति और उसके समर्पण का भी परिचायक है। महिलाएं इस दिन सवेरे सूर्योदय से पहले तथा रात्रि में चन्द्रमा के बाहर निकलने तक निर्जला उपवास/व्रत रखती हैं और दिन भर पूजा पाठ करती हैं ताकि उनका पति दीर्घायु हो । नए कपड़े, आभूषण और मेहंदी लगाकर साड़ी पहनकर चन्द्रमा को निहारती हैं और अपने पति को उसी चन्द्रमा के समान ही प्रेम करते हुए जल का अर्ध्य अर्पित करती हैं और पति को परमेश्वर मान कर उनके पैर छू लेती हैं और इस अवसर पर पति अपनी प्रिय पत्नी को मिठाई खिलाकर एवं जल पिलाकर उनका व्रत पूर्ण कराते हैं।
एकता और भाईचारे का प्रतीक ये पर्व धार्मिक अनुष्ठान के साथ साथ एक सामाजिक समारोह भी है। इस अवसर पर महिलाएं और पुरुष एकत्र होकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं तो देते ही हैं और अपनी भावनाएं भी एक दूसरे के साथ साझा करती हैं।
इस अवसर पर मैं समस्त देशवासियों से यह भी आग्रह करूँगा, सिर्फ़ पत्नियां ही पतियों की लम्बी उम्र की कामना करें ये तो उचित है पर क्या आपको नहीं लगता है की पतियों को भी अपनी प्रिय पत्नी के लिए उस दिन व्रत रखना चाहिए, अगर वो आपसे प्रेम करती हैं तो आप भी तो अपनी पत्नी से प्रेम करते हैं, आप क्यों नहीं मांगते उनकी (पत्नी) भी लम्बी उम्र की कामना, मेरे विचार से करना चाहिए, इससे प्रेम और कई गुणा बढ़ जाएगा और महिलाओं की दृष्टि में आपका सम्मान भी।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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