मंथन | MANTHAN | अहसास एक बेहतर इंसान के लिए

मंथन

मंथन | MANTHAN | एक आत्मीय अहसास बेहतर इंसान बनने के लिए, ज़रूरी है कि हम क्या सोचते हैं और क्या करते हैं। उसमें कितनी सत्यता है और कितना आडम्बर, इन दोनों का सत्य ईश्वर के साथ साथ इंसान भी अपनी अन्तर्रात्मा द्वारा जानता है। नज़दीक हों फिर भी पास हों ये ज़रूरी तो नहीं। … Read more

ज़िन्दगी | I AM GRATEFUL FOR GOOD LIFE I HAVE

I AM GRATEFUL FOR GOOD LIFE I HAVE

ज़िन्दगी, ईश्वर का अनमोल तोहफ़ा है, इसे अजीब कह कर भगवान का अपमान न करें, पूरी कविता पढ़ें, आपका नज़रिया बदल जायेगा। बड़ी अजीब है ये ज़िन्दगी,ख़ुशी एक पल के लिएदुःख बरसों बर्ष के लिएकोई सुख चाहता है जीवन मेंतो उसे दुःखों से भरी बोरी मिल जाती हैजहाँ फूलों के मिलने की आशा हैवहां काँटों … Read more

आखिर क्यों है ऐसा इंसान? | Motivational | Universal Truth

Aakhir Kyon Hai Aisa Insan

आखिर क्यों है ऐसा इंसान? | पशु पक्षी भी हैं जिससे हैरान परेशान | Motivational Poem | Universal Truth आसमान में सितारों कोकभी किसी से लड़ते देखा है?क्या सूरज चंदा तारों कोरौशनी देने से अड़ते देखा है। क्या शिकायत की है हवा नेकि मैं मुफ़्त में क्यों बहुंनदी के शीतल जल से पूछोक्या कभी इनकार … Read more

बिन तेरे प्रभु | Ghazal | ग़ज़ल | Spirituality

ग़ज़ल: बिन तेरे प्रभु

एक सच्चा और ईश्वर से जुड़ा हुआ भक्त हमेशा भगवान को प्राथमिकता देता है। फिर चाहे जीवन में हानि हो लाभ हो, यश मिले या अपयश, जीवन के प्रत्येक पल को प्रभु को समर्पित करके ही जीता है। प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर, प्रभु परमात्मा के अस्तित्व एवं परमात्मा सिमरन, याद के बिना तो यह जीवन … Read more

बलात्कार VS ज़िन्दा लाश | RAPE | Say No To Rape 

Say no to rape

बलात्कार एक संगीन ज़ुर्म एवं वीभत्स के साथ साथ बेहद अमानवीय कृत्य है, जिसकी वज़ह से पीड़िता जीवन भर उस दर्द और पीड़ा से बाहर नहीं निकल पाती है। समाज में बढ़ रहे लगातार ऐसे घिनौने आपराधिक कार्यों के कारण सभ्य समाज बेहद सदमें में है, किसी के साथ भी ऐसी घटना घटित न हो। प्रस्तुत है कविता के कुछ अंश।

प्रकृति से खिलवाड़ Pollution | Global Warming

ग्लोबल वार्मिंग पर हिन्दी कविता

प्रकृति से खिलवाड़ करके अपने फायदे का लिए मनुष्य ने सारी सीमाएं लांघ दी हैं। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है जो इंसान ने अपनी खुदगर्ज़ लालसाओं की खातिर नष्ट ना किया हो। हर ओर है दूषित वातावरणसभी लोग इसके कब्ज़े में हैंकरके मर्यादाओं का उलंग्घनसोच रहे लोग वो मजे में हैं? फल सब्ज़ी हवा … Read more

नेताजी का मोबाइल चार्जर | हास्य कविता | Humorous Poetry

नेताजी का मोबाइल चार्जर

नेताजी निकले घर से कर मोबाइल की बैटरी फुलसंसद जाने की खुशी में वो चार्जर गए घर भूलसरपट हो गए रवाना, रास्ते की खाते हुए धूलजैसे ही घर पहुँचे, अचानक हुई बिजली गुल तिलमिला उठे नेताजी नौकरों पर खूब बरसने लगेनौकरों से मिली फुरसत तो बीवी पर ही गरजने लगेचिल्ला कर बैठ गया गला तो … Read more

प्रदूषण से ख़तरे में संसार | Pollution Kavita

pollution par kavita poem

प्रदूषण से ख़तरे में संसारजल थल व नभ के प्राणीसिलसिला ये है नया नहींसमस्या ये है बहुत पुरानी कूड़े में प्लास्टिक का ढेरये खुली मौत को दावत हैप्लास्टिक प्रदूषण फैलातीजो सुरक्षा चक्र में बाधक है पशु पक्षियों पर गहरा संकटमछलियाँ तड़प कर मर रही पानी पीने वाली नदियों में प्लास्टिक और गंदगी तैर रही सड़कें … Read more

बुजुर्गों की कंपकंपाती आवाज़ से | An Emotion

बुजुर्गों की कंपकंपाती हड्डियों से

बुजुर्गों की कंपकंपाती आवाज़ सेआज की पीढ़ियां हिसाब मांगती हैआजीवन अनन्त कर्तव्यों की एकठोस मुकम्मल किताब मांगती हैं तौर तरीकों से लेकर हर लम्हें कीबेटे सफाईयां किस कदर दूँ तुम्हेंआज भी तेरी इस नादानी परजी चाहता मोतियों से भर दूँ तुम्हें तेरी परवरिश में सब कुछ गंवायातेरा हर कदम पर साया बनकरखड़ा रहा अटल लाखों … Read more

अहंकार का मारा इंसान बेचारा | Motivational

अहंकार का मारा इंसान बेचारा Motivational Poem

रोग लगा है हर इंसान कोअरे मैं बड़ा हूं तुमसे प्यारे।तू तू मय मय की आग मेंजल और जला रहे हैं सारे।प्यार नहीं दिलों में अपनेलगाते विश्व-बंधुत्व के नारे।सीखें ज़रा प्रकृति से भी जोमिलकर रहते चाँद सितारे।ग़र झुका दें ख़ुद को हमतो मिट जाएंगे झगड़े सारे।ग़ैर नहीं कोई वैर नहीं हैसब लगे अपने मीत हमारे। … Read more