धनतेरस का दिन है आया
संग संग कई खुशियां लाया
चमका धातुओं से ये बाजार
हरेक दिल में उल्लास छाया
नीरस लगे जीवन धन बिना
मिले धन से मान व सम्मान
कम न जानो धन की ताकत
धनी की करे दुनिया गुणगान
सोने चांदी का चढ़ा है पारा
क्रय विक्रय में है लूट मची
दीवाली आगमन की खुशी
सब के हृदय में है रची बसी
दुकानों पे भीड़ है भारी बस
बर्तन और आभूषण के चर्चे
ग्राहक व व्यापारी जोड़ रहे
फायदा नुकसान के ही खर्चे
झालर दीपों से है सजा हुआ
ले आओ घर कोई नया उपहार
साफ़ सफाई कर लो घर की
आ रही आगे दीवाली त्योहार
तारे चमकें आकाश में, और
नभ से धरती तक उजियारा
धनतेरस पर हो नए नए सपने
पूरा होते देख रहा जग सारा
माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद मिला
सुख समृद्धि का हर पल मिले
धरती पर हो आनंद हर घर में
प्रेम और ख़ुशी के ‘दीप’ जले
-दीपक कुमार ‘दीप’
धनतेरस, भगवान धन्वंतरि के शुभ आगमन के अवसर पर, दीवाली आगमन से पूर्व मनाया जाता है, इसे दीवाली की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। धनतेरस का अर्थ है ‘धन की त्रयोदशी’, अर्थात जो इस दिन संपत्ति और समृद्धि की पूजा का प्रतीक है। इस दिन हिन्दू धर्म के लोग अपने घरों में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी का स्वागत करते हैं।
धनतेरस त्योहार मनाने का कारण
स्वास्थ्य को मानव जीवन में सबसे पहला और सर्वोत्तम धन माना गया है, इस दिन स्वास्थ्य रुपी धन के भगवान और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि, अमृत कलश के साथ प्रकट हो कर मानव को स्वस्थ होने का उपहार दिया था। ताकि हरेक व्यक्ति स्वस्थ और निरोग रहे, तभी वो दुनिया के सारे सुखों का आनंद ले सकता है, वर्ना पूरे जीवन वो शारीरिक दुःखों में ही उलझा हुआ और उनसे ग्रस्त रहेगा, कभी बाहर नहीं निकल पायेगा। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य, धन और सुख का आगमन होता है।
धनतेरस पर माँ लक्ष्मी की भी विशेष रूप से पूजा होती है। माँ को प्रसन्न करने के लिए लोग घरों में घी के दीप अर्थात दिए जलाते हैं और माँ लक्ष्मी जी के चरणों में फूलों की भेंट चढ़ाते हैं। जिससे भगवान धन्वंतरि के साथ साथ माँ लक्ष्मी का भी स्नेह, धन, वैभव, स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि प्राप्त हो।
बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण खरीदने की परम्परा
इस अवसर पर बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण और अन्य धातुओं को खरीदने की परंपरा है, जिसे शुभ माना जाता है और ये सुख-समृद्धि का प्रतीक है। बाजारों में चहल पहल बढ़ जाती है, जिससे हर ओर एक बहुत बड़ा उत्सव जैसा प्रतीत होता है, घर से लेकर दुकानदार तक अपने सभी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए खास आकर्षक ऑफर्स और उपहार के रूप में डिस्काउंट भी देते हैं।
पारिवारिक महत्ता
ये त्योहार मात्र धन की पूजा या माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने का अवसर नहीं होता बल्कि, इस दिन को समस्त परिवार के लोग एक स्थान पर एकत्रित होते हैं, मिलजुल कर घर की सफाई और सजावट व पूजा पाठ करते हैं, एक दूसरे का हाल-चाल भी लेते हैं और हास्य विनोद भी करते हैं। जिससे घर का वातावरण ठीक रहता है, पारस्परिक प्रेम व सद्भाव भी बढ़ता है। धन का महत्व केवल भौतिक चीजों तक सीमित नहीं है, असली धन यही है जब हम सभी लोग परिवार, मित्रों और समाज में खुशियां और प्रेम बाँटते हैं।
इस धनतेरस पर हम सब एक साथ मिलकर नए सपनों को साकार करने की कोशिश करें और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाकर अपने जीवन को सुखमय बनाएं।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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