Last updated on November 19th, 2024 at 05:19 pm
ज़िन्दगी, ईश्वर का अनमोल तोहफ़ा है, इसे अजीब कह कर भगवान का अपमान न करें, पूरी कविता पढ़ें, आपका नज़रिया बदल जायेगा।
बड़ी अजीब है ये ज़िन्दगी,
ख़ुशी एक पल के लिए
दुःख बरसों बर्ष के लिए
कोई सुख चाहता है जीवन में
तो उसे दुःखों से भरी बोरी मिल जाती है
जहाँ फूलों के मिलने की आशा है
वहां काँटों की सेज बिछ जाती है
बड़ी अजीब है ये ज़िन्दगी…
कुछ सत्य कुछ झूठ
कभी आशा कभी निराशा
कभी स्वपनों को पाने की लालसा
इन्हीं में उलझ कर रह गई है ज़िन्दगी
बड़ी अजीब है ये ज़िन्दगी…
कभी जाति कभी वर्ण
कभी भाषा कभी धर्म
विवादों के घेरे में है आज की संस्कृति
कैसे कहूं, क्या यही है ज़िन्दगी?
प्यार दोगे प्यार मिलेगा
सत्कार दोगे सम्मान मिलेगा
मेहनत से हर चीज है संभव
काम से चोरी है दुःख का अनुभव
हम जैसा हैं सोचते-नहीं, ऐसी है जिंदगी
फ़िर भी लोग हैं कहते,
बड़ी अजीब है ये ज़िन्दगी…
मानव जीवन मिला एक बार
नहीं मिलता है यह बारम्बार
हर मानव से हम करें प्यार
नफ़रत को दें हम सभी दुत्कार
क्रोध छोड़ धैर्य अपनायें
पाप को छोड़ पुण्य कमायें
ये धरती है धर्म कर्म की
जितनी मर्ज़ी फ़सल उगायें
एक बार यत्न कर देखें हम
हरगिज़ नहीं है ऐसी ज़िन्दगी
जितना दिया प्रभु ने हमको
इसका शुकर करें हर बार
मन मंदिर में उजियारा होगा
हर कोई आपका प्यारा होगा
अच्छा सोचें अच्छा ही खाएं
अच्छाई जीवन का आधार बनायें
मैं नहीं कहता आप कहेंगे
बड़ी ख़ुशनसीब है ये ज़िन्दगी
फिर भी लोग यही कहते हैं
बड़ी अजीब है ये ज़िन्दगी
बड़ी अजीब है ये ज़िन्दगी
जिंदगी, ईश्वर का दिया हुआ बेहद अनमोल तोहफ़ा है, इसे अजीब कह कर हमें भगवान का अपमान नहीं करना चाहिए, दुःख सुख हर किसी के साथ साथ चलता है, कोई दुःख पा कर भी दुःखी नहीं होता, वो उस दुःख के पलों में भी ईश्वर का धन्यवाद करना नहीं भूलता और कुछ लोग लाख सुखों की छावं में रहने के बावज़ूद दुःखी ही रहना चाहते हैं। पूरी कविता अवश्य पढ़ें, यकीन मानिये, आपका लाइफ (LIFE) के प्रति सोचने, समझने व जिंदगी को जीने के प्रति नज़रिया ही बदल जायेगा।
कई बार हम किसी फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं, पर कई बार ये भी हमने अवश्य देखा होगा कि पूर्व में आपके द्वारा लिए गए फैसले, बाद में आपके लिए बेहतर साबित हुए, जिसे लेकर हम हर रोज़ परेशान रहते हैं। इसलिए सबसे बेहतर तो यही है कि आप स्वयं को अपने काम में झोंक दीजिये, परिणाम चाहे जो भी आये, अच्छा या बुरा, उसका श्रेय लेने से पहले वो काम ईश्वर को समर्पित करते हुए करें। इसका लाभ ये होगा कि हमारे अंदर कर्ता भाव नहीं आएगा और ना ही हम उस काम को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित होंगे। क्यूंकि इस दुनिया में होता वो ही है जो ईश्वर चाहता है, बिना ईश्वर की इच्छा कुछ भी नहीं होता है और ना ही हो सकता है, तो बेहतर यही होगा कि हम स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दें, और अपना जो भी बेस्ट टू बेस्ट हो उस काम में फिर चाहे वो कोई भी क्षेत्र क्यों न हों, उसे सफल बनाने में जुट जाएं। ईश्वर आपको सफलता अवश्य देगा, आपके ही हाथों ऐसे ऐसे काम करवाएगा, जिसे आपने कभी नहीं सोचा होगा, वो सब कुछ करा लेगा।
कहीं पढ़ा था, भगवान अपने भक्त से कहते हैं कि,
तू करता वो है जो तू चाहता है.. पर होता वो है जो मैं चाहता हूँ.. तू कर वही जो मैं चाहता हूँ.. फिर होगा वही जो तू चाहता है !!
आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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