हाल-ए-दिल | Ghazal | “Naa Karo” Best Poetry Ever

0 0
Read Time:5 Minute, 12 Second

हाल-ए-दिल अपना, गैरों से सुनाया ना करो।
दर्द है ग़र दिल में, हरगिज़ छुपाया ना करो।

हैं सभी गैर यहाँ पर, अपना नहीं कोई यार है,
बेवजह ख़ून के रिश्ते यहाँ, तुम बनाया ना करो।

मुमकिन नहीं राहों में हमें , सब को संभालना,
ग़र उठा सकते नहीं, कभी गिराया ना करो।

हाल-ए-दिल अपना, गैरों से सुनाया ना करो
हाल-ए-दिल अपना, गैरों से सुनाया ना करो

आँखों में चुभती है, दुनिया की खुशी हमें क्यों,
ऐसे किसी भी जज़्बात से, उन्हें सताया ना करो।

शुक्र है प्रभु का जो, नवाज़ा है इसी ने हाथों से,
हीरे रहमत बख्शीशों के, तुम गवांया ना करो।

दामन भरा है प्रभु ने हमेशा, मेरे मांगने से पहले,
‘दीप’ इस पर तोहमत बेवज़ह, लगाया ना करो।

कठिन शब्द-

नवाज़ा- काबिल, लायक (प्रदान /सम्मान)
रहमत- कृपा (अनुग्रह)
तोहमत- लांछन (दोष)

-दीपक कुमार ‘दीप’

दो कान वाले को ना सुनाओ

ये ग़ज़ल आप पाठकों के लिए प्रस्तुत है, जिसमें मैंने यही बताने का प्रयास किया है कि, संसार में जितने भी लोग हैं, फिर चाहे वो किसी रोल में इस धरती पर अपना अभिनय कर रहे हैं, वो सभी स्वार्थ की बुनियाद पर टिके हुए हैं। सामान्य तौर पर जब व्यक्ति किसी से मदद मांगता है, तो नाना प्रकार के ताने समाज उन्हें देता है, उन पर हँसता है, व्यंग्य कसता है, थोड़ी बहुत सहायता कर भी देता है, तो कई वर्षों तक उस अहसान का लोगों के समक्ष ज़िक्र करता है। इसके विपरीत मैंने उपरोक्त पंक्तियों में ये बताने का प्रयास किया है अपने दिल के हाल या दुःख को ईश्वर से सबसे पहले कहो, ना कि दो आँख, कान नाक, मुँह वाले व्यक्ति से, क्यूंकि जब आप ईश्वर से कुछ मांगते हैं या प्रार्थना करते हैं तो भगवान किसी ना किसी को आपके उस काम को करने अथवा कराने का माध्यम बना देते हैं।

स्वार्थ की बुनियाद
स्वार्थ की बुनियाद

इंसानो का स्वभाव

प्रभु के अलावा इस दुनिया में और कोई नहीं है जो हमारा हित चाहता हो, वो भी बिल्कुल निःस्वार्थ भाव से, परमात्मा कभी भी हमारा किसी भी रूप में बुरा करना नहीं चाहता, इसके विपरीत इंसानो का स्वभाव होता है, कदम कदम पर लोगों को ठगने या कष्ट पहुंचाने का प्रयास करता है। सारे रिश्ते नाते सब ऐसे ही भावनाओं से युक्त होते हैं। आपके वश में नहीं है अगर कि आप किसी का हमदर्द बन सकें तो भी ना हो कि हम किसी के दुःख तकलीफों का कारण बनें, किसी को नीचे गिराने से बेहतर है उसे उठाएं। संसार तो ऐसा ही है कि वो सदैव दूसरों की खुशियों से ईर्ष्या द्वेष रखता है। जबकि होना तो ये चाहिए कि जो भी सामने वाले के पास में है वो उसे भगवान की कृपा और उसकी मेहनत से प्राप्त है, उसमें हमें किसी से वैर ईर्ष्या रखकर क्या मिलेगा, उल्टा अपना ही सुख-चैन, नींद-आराम सब कुछ मिट्टी में मिल जायेगा।

इंसानो का स्वभाव
इंसानो का स्वभाव

-प्रिय पाठकों से निवेदन

आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।

आप इसे भी देख सकते हैं-

दीवाली पर हिन्दी कविता

गोवर्धन पूजा हिन्दी कविता

पेड़ लगाएं पर्यावरण बचाएं

वायु प्रदूषण पर हिन्दी कविता

जल प्रदूषण पर कविता

समय की ताकत

5 बातें बढ़ा देंगी आपके लाइफ की कीमत

चींटी के ऊपर कविता

बसंत ऋतु पर कविता

भारत हमें जान से प्यारा

रतन टाटा पर कविता

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर कविता

महर्षि वाल्मीकि जयंती पर हिन्दी कविता

रिश्तों की अहमियत

एक जिंदा शहर हूं मैं

करवा चौथ चांद की चांदनी में

आओ दिल की ज़मीन पर इक घर बनाते हैं

About Post Author

chaturpandit.com

दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Comment