Last updated on October 21st, 2024 at 02:53 pm
वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है, इसी पर आधारित मेरी ये कविता है, जिसमें कारण, दुष्प्रभाव और समाधान, तीन विषयों को छूने का प्रयास किया है।
सांसों में घुल रहा ज़हर सहमा हुआ है आदमी
शहर की गलियों में फैला धूल धुएं का अंबार है
हर सुबह धुंधली लगे शाम भी लगती काली है
हर किसी की सेहत इससे हो जा रही बेकार है।
बच्चे बूढ़े और जवान भी हैरान और परेशान हैं
स्वच्छ हवा चाहें सभी ये समय की आवश्यकता
दमा अस्थमा मरीज़ की जान पे आफ़त आई है
फेफड़े भी दम तोड़ रहे हैं घोंट कर ये विषाक्तता
धीरे धीरे इस धरती पे जंगल पेड़ सब खत्म हो रहे
नदी पहाड़ झरने समुद्र भी इससे नहीं बच पाए हैं
प्रकृति से खिलवाड़ की ही सजा भुगत रहा आदमी
भूकम्प बाढ़ सूखा महामारी बिना बुलाए आए हैं
समाधान समस्या का है यही कोई और उपाय नहीं
जितना हो कम से कम हर कोई एक पेड़ लगाएं
बस मेट्रो से करें यात्रा व्यतिगत वाहन को दें विश्राम
अपने आस पास हमेशा स्वच्छता के नियम अपनाएं
मास्क पहनें पैदल चलें व योगाभ्यास करें रोजाना
स्वच्छ पानी और स्वच्छ ऊर्जा जीने के आधार यही
प्रकृति की गोद में मिलेगी राहत ये ख्याल रखना है
‘दीप’ छोटी पहल करके होगा पर्यावरण सुधार सही
-दीपक कुमार ‘दीप’
भावार्थ:–
वायु प्रदूषण गंभीर समस्या
वायु प्रदूषण एक बेहद गंभीर समस्या है जो न केवल पर्यावरण को बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ, वायु की गुणवत्ता में भी तेजी से गिरावट आई है। यह समस्या बहुत गंभीर है। पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुक्सान कारखानों से निकलने वाला धुआं और वाहनों से निकलने वाले धुएं पहुंचाते हैं। कारखानों से निकलने वाले धुएं में रसायन और अन्य हानिकारक गैसें मिश्रित होती हैं, जो वायु को प्रदूषित करती हैं। इतना ही नहीं पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन भी अत्यधिक मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस छोड़ते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता खराब होती है। धूल और धुएं युक्त निर्माण, खनन कार्य व पराली जलाना भी वायु प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार हैं। जिससे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर देखने को मिल रहा है।
वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु प्रदूषण से श्वसन रोग, एलर्जी, अस्थमा, और हृदय संबंधी समस्याएँ बढ़ती हैं। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इससे व्यक्ति का आर्थिक नुक्सान भी होता है, चिकित्सा व्यय भी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं पेड़ पौधे, नदी, तालाब, झरनों के साथ साथ जलवायु पर भी इसका असर पड़ता हैं जिससे जलवायु परिवर्तन, वन्यजीवों की हानि, और पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, का उपयोग कर ऊर्जा का संरक्षण करना चाहिए इससे जीवाश्म ईंधन की खपत कम होगी और वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी। व्यक्तिगत वाहनों का प्रयोग कम और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग पर ज्यादा ज़ोर दिया जाना चाहिए। कारपूलिंग और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग भी एक प्रभावी उपाय है। इसी क्रम में उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करना चाहिए और सरकारी नियमों का पालन करना अनिवार्य है। जैविक खेती को बढ़ावा देने पराली जलाने के बजाय, उसे उचित तरीके से निपटाने के उपाय अपनाने चाहिए। जैविक और परंपरागत खेती को बढ़ावा देने से रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम होगा। जन जागरूकता के माध्यम से वायु प्रदूषण के प्रभावों और रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूक करना अति आवश्यक है।
निष्कर्ष
वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है, इसके लिए केवल हम सभी सरकार को पूरी तरह से दोष नहीं दे सकते, हम सभी लोग भी प्रदूषण के खिलाफ उपाय अपनाकर इसे कम कर सकते हैं। हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपने आस-पास के वातावरण को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखने के लिए कदम उठाए। यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो निश्चित रूप से हम वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं और एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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