सन्नाटे भरे जंगल में और चिड़ियों के शोर के बीच मीकू बन्दर की कलाबाजियां देख कर जंगल के सभी जानवर आनंद से भर उठते थे। मीकू बन्दर को पढ़ाई लिखाई के साथ साथ नई नई किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। वो इतना ज्यादा चतुर था कि आसानी से किसी के बहकावे या धोखे में भी नहीं आता था। अक्सर जंगल की कहानियां छोटे बच्चों और जानवरों को सुनाता था। जहां मीकू बन्दर की उम्र के लगभग सभी बच्चे खेलकूद से लेकर उधम मचाने में व्यस्त रहते थे, वहीं वो अपना पूरा ध्यान पढ़ाई लिखाई और नित्य नई जानकारियों को इकठ्ठा करने में लगाता था।
मीकू बन्दर अपने सभी साथियों को भी शिक्षा ग्रहण करने और नई चीजें सीखने को कहता था, इसके कारण उसके सभी साथी कई बार उसके साथ हँसी मज़ाक तो करते ही थे, उसकी खिल्लियां भी उड़ाते थे, लेकिन मीकू ने कभी उनकी बातों का बुरा नहीं माना, बल्कि वो हमेशा की तरह ही अपनी पढ़ाई की दुनिया में मस्त हो जाता।
जब जंगल में खुल गया स्कूल
मीकू बन्दर से बाकी दूसरे जानवर जैसे कि जंगल के राजा शेर सिंह और गज्जू भैया (हाथी) बेहद प्रसन्न रहते थे, क्योंकि इतने बड़े जंगल में कोई तो है, जो हमसे अलग उसकी एक दुनिया है। इसलिए सभी वयस्क जानवर जिसमें बूढ़े भी शामिल थे उन्होंने मीकू बन्दर से कहा- क्या तुम्हें नहीं लगता यहां एक स्कूल का निर्माण होना चाहिए? जिससे सभी बच्चे प्रतिदिन स्कूल जा कर कुछ नया सीख सकें।
मीकू बन्दर की खुशी का ठिकाना नहीं था, इस प्रश्न को सुनकर तपाक से बोला- बिल्कुल होना चाहिए, इतना ही नहीं सिर्फ बच्चे ही क्यूं? वयस्क लोगों के लिए भी एक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) बनना चाहिए। ताकि सभी बच्चे और बूढ़े भी इसका भरपूर लाभ उठा सकें- सभी ने एक स्वर में शहर सिंह से कहा।
सभी लोगों का आग्रह मान कर जंगल के राजा शेर सिंह ने जंगल में नदी के किनारे एक विद्यालय और पुस्तकालय का निर्माण करा दिया। सभी लोगों को भी इसका भरपूर लाभ उठाने की सलाह दी। शेर सिंह की बात मान कर कई लोग तो अगले ही दिन से नियमित रूप से स्कूल आने जाने लगे।
अब तो जंगल में भी काफी चहल पहल बढ़ गई, स्कूल के प्रबंध का सारा देखभाल स्वयं शेर सिंह की स्वीकृति से मीकू बन्दर देखने लगा। स्कूल में अटेंडेंस से लेकर आय व्यय की भी सारी देखभाल की जिम्मेदारी मीकू के ही कंधों पर आ गई। वो अपनी पढ़ाई के साथ साथ स्कूल में भी भरपूर समय देता।
सभी लोग जंगल के बदले स्वरूप को लेकर बेहद उत्साहित थे, खरगोश, जिराफ़, सियार सभी प्रतिदिन स्कूल के बाद पुस्तकालय अवश्य जाते और वहां रखी किताबों को बड़े ध्यानपूर्वक पढ़ते। मीकू ने कहा आप सभी को जितनी किताबें पढ़नी हो अवश्य पढ़ें किंतु एक बात का ज़रूर ध्यान रखें कि पुस्तक के सभी पेज, ज़िल्द को कोई नुकसान ना हो।
“गोसा खरगोश को तो किताबें इतनी अच्छी लगी कि उसने इन किताबों को एक एक करके घर ले जाने और पढ़ कर पुनः वापस करने की मीकू बन्दर से इच्छा जताई।” क्या मैं इन किताबों को घर पर लेकर जा सकता हूं? गोसा खरगोश ने मीकू से कहा।
बन्दर मीकू ने हँस कर बोला- हाँ हाँ क्यूं नहीं।
गोसा खरगोश ने कहा- अरे वाह! नई नई किताबें पढ़ने को मिलेंगी।
जंगल में आ गई बाढ़
इधर नदी के किनारे बने इस स्कूल के आस पास कूड़ा इक्कठा होना शुरू हो गया, क्योंकि जो लोग जंगल घूमने आते, वो अपने साथ खाने पीने की चीजों के अलावा और भी अन्य सामग्री लाते थे, जो भोजन करने के बाद जंगलों में इधर उधर फेंक दिया करते थे, जिसकी वजह से धीरे धीरे कूड़े का बड़ा सा ढेर बनता जा रहा था।
बाकि अन्य जानवर भी सड़ रहे खाद्य पदार्थों से दुर्गंध की शिकायत जंगल के राजा शेर सिंह को कर दी थी और कूड़े के बारे में भी बताया था। किन्तु शेर सिंह को समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे इस समस्या का समाधान करे। दिन प्रतिदिन ऐसे भी बीतता चला गया, लेकिन स्थिति और भी गंभीर होती जा रही थी। धीरे धीरे कूड़े का ढेर अब नदियों के पानी की तरफ़ बढ़ने लगा।
देखते ही देखते नदी का पानी ऊपर की ओर बहने लगा और पूरे जंगल में पानी का बहाव तेज हो गया और हर तरफ बाढ़ आ गई। मीकू को भी इस बारे में जैसे ही पता लगा, वो सभी लोगों को स्कूल की छत पर ले आया, पर ये क्या हर तरफ पानी ही पानी देख कर सभी लोगों का सिर चकराने लगा।
गज्जू भैया ने कहा इतने साल हो गए परन्तु जंगल में आज तक कभी बाढ़ नहीं आई थी। आख़िर ऐसी स्थिति आई ही क्यूं? मीकू बन्दर भी बड़े ध्यान से इस समस्या को सुन रहा था।
बाढ़ का कारण
मीकू बन्दर ने कहा ये इसीलिए हुआ क्योंकि हमने नदियों के किनारे पूरे जंगल में कूड़े फेंकते रहे, जो बारिश के पानी से बहते हुए नदियों में धीरे धीरे जमा होते चले गए, जिसके चलते बाढ़ जैसे स्थिति आई। सभी जानवर बड़े ध्यानपूर्वक मीकू की समझदारी भरी बातें सुन रहे थे।
शेर सिंह का फ़रमान
राजा शेर सिंह ने कहा, तो आप सभी ने सुना कि ये हमारी ही गलतियों के कारण हुआ है। अब से कोई भी जो जंगल घूमने आए वो अपने साथ कोई थैला अवश्य ले कर आए और कूड़े कचरे को यहां वहां न फेंके बल्कि अपने साथ लेकर जाए और जहां कूड़ाघर है वहां पर कूड़े को डालकर आयेगा। जो कोई भी ऐसा नहीं करेगा। उसके ऊपर बहुत भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
मीकू ने निकाली युक्ति
बाढ़ का पानी अभी भी ज्यों का त्यों था, सभी लोगों से मीकू बन्दर ने कहा- पानी ना जाने कब तक घटेगा, इसलिए हम लोगों को अभी अपने लिए भोजन का भी इंतज़ाम करना होगा। आपमें से कुछ लोग पेड़ों पर चढ़ कर धीरे धीरे फल एकत्रित कर लें। तब तक मैं बाढ़ के पानी को बाहर निकालने का कोई उपाय सोचता हूं।
अचानक मीकू बोल पड़ा- यदि हम सभी लोग इन बड़े बड़े चट्टानों को हटा दें, तो बाढ़ का सारा पानी बाहर निकल जाएगा।
हाँ हाँ क्यों नहीं- सभी ने एक स्वर में कहा।
बड़े और भारी पत्थरों और चट्टानों को देख कर सभी ने कहा – अरे ये काम में तो गज्जू भैया ही हमारी मदद कर सकते हैं। गज्जू हाथी ने कहा, क्यों नहीं। अब गज्जू हाथी आगे आगे, पीछे पूरी टोली, निकल पड़ते हैं चट्टानों को हटाने। एक एक करके गज्जू हाथी ने सारे पत्थर हटा दिए और बड़े चट्टानों को भी सभी जानवरों की मदद से हटा दिया।
पानी अब पूरे वेग के साथ जंगल से बाहर की ओर निकलने लगा। धीरे धीरे सारा पानी जंगल से बाहर निकल गया। सभी लोग बेहद प्रसन्न थे और मीकू की खूब तारीफ़ कर रहे थे। शेर सिंह के कहा- तुमने कहाँ से ये सब सीखा और आज अगर तुम नहीं होते तो हम सभी लोग कभी इस आपदा से बाहर नहीं निकल पाते। मीकू ने कहा- ये मैने किताब में एक बार कहानियों में पढ़ा था, तभी मुझे ये युक्ति सूझी।
सभी ने कहा- ये होता है शिक्षा का असर।
सभी ने अब पूरे मन से पढ़ाई लिखाई करने के बारे में सोचा। और फिर से सभी स्कूल जाने लगे। विद्यालय में अब पहले से कहीं ज्यादा चहल पहल थी।
निष्कर्ष
शिक्षा सबसे ज्यादा उपयुक्त माध्यम है अपने ज्ञान और विवेक का विस्तार करने के लिए। चाहे वो कोई भी क्षेत्र क्यों न हो। हर क्षेत्र में शिक्षा की आवश्यकता है। तभी आप अपने सपनों को हक़ीक़त में बदल पाएंगे।
–दीपक कुमार ‘दीप’
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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