प्रदूषण से ख़तरे में संसार
जल थल व नभ के प्राणी
सिलसिला ये है नया नहीं
समस्या ये है बहुत पुरानी
कूड़े में प्लास्टिक का ढेर
ये खुली मौत को दावत है
प्लास्टिक प्रदूषण फैलाती
जो सुरक्षा चक्र में बाधक है
पशु पक्षियों पर गहरा संकट
मछलियाँ तड़प कर मर रही
पानी पीने वाली नदियों में
प्लास्टिक और गंदगी तैर रही
सड़कें शहर की गलियों में
हर ओर गंदगी का पसारा है
धूल और धुंए में दम घुटता है
प्रदूषण का दुःखद नज़ारा है
सांस लेना हुआ मुश्किल है
जान पर भी आफत आई है
पेड़ लगाएं पर्यावरण बचाएं
इसी में सभी की भलाई है
पर्यावरण हितैषियों ने वर्षों
से इस क्षेत्र में काम किया है
मानवता को रखकर ज़िंदा
दिलों में अपना नाम किया है
‘दीप’ आओ अब हम सभी
प्लास्टिक को अब ना कहें
साफ सफाई पेड़ लगा कर
स्वच्छ स्वस्थ माहौल में रहें
–दीपक कुमार ‘दीप’
प्रदूषण: एक गंभीर समस्या
प्रदूषण आज के समय की एक बड़ी वैश्विक समस्या है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि हमारा जन-जीवन भी प्रभावित हो रहा है। इसके कारण विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्यायें, पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन और जलवायु परिवर्तन जैसी बेहद गंभीर चुनौतियाँ हमारे सामने आ रही हैं।इसके मुख्य प्रकारों में वायु, जल, मृदा और ध्वनि शामिल हैं। वर्तमान परिदृश्य में आज इन सभी के ऊपर ख़तरा मंडरा रहा है।
- वायु प्रदूषण
इसका सबसे बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है जो सबसे खतरनाक है। जो मुख्य तौर पर औद्योगिक कारखानों, वाहनों, पराली को जलाने से होता है। वायुमंडल में हानिकारक गैसों जैसे कि कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड प्रचुर मात्रा में घुली हुई है। जिससे श्वसन समस्याएँ जैसे, हृदय रोग, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का ख़तरा उत्पन्न हो गया है। - जल प्रदूषण
इसका मुख्य कारण औद्योगिक अवशिष्ट, घरेलू अपशिष्ट, और कृषि रसायन है। नाइयों, समुद्र में लगातार बढ़ रहे लेवल के कारण जल जीवन, जहाँ मनुष्यों के लिए चिंताजनक है वहीं दूसरी ओर जल में रहने वाले जीवों पर भी संकट आ गया है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के नष्ट होने का सबसे मुख्य कारण है। जल प्रदूषण के कारण जलजनित रोग भी चरम पर हो जाते हैं। इसमें हैजा, दस्त, मलेरिया और टायफाइड प्रमुख हैं। प्रदूषित जल, पेयजल संकट की स्थिति भी उत्पन्न कर रहा है। - मृदा प्रदूषण
मृदा (मिट्टी) प्रदूषण का कारण मुख्यतः कृषि रसायन, प्लास्टिक अपशिष्ट, और औद्योगिक कचरे का मिट्टी में उपयोग होना है। ये हानिकारक तत्व मिट्टी में मिलते ही न केवल मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम कर देते हैं, बल्कि मिट्टी के माध्यम से खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाता है। कृषि उत्पादन में भी ज़्यादा लाभ की लालच ने खाद्य सुरक्षा संकट पैदा कर दिया है। - ध्वनि प्रदूषण
शहरों में लगातार बढ़ते ध्वनि ने मानसिक तनाव, नींद की कमी, और सुनने की क्षमता में कमी जैसी कई समस्याएँ उत्पन्न की हैं। ध्वनि शोर मुख्य रूप से वाहनों, निर्माण कार्यों, उद्योगों और सार्वजनिक स्थानों पर शोर में वृद्धि से होता है।
निष्कर्ष
केवल हम सभी सरकार को पूरी तरह से दोष नहीं दे सकते, हम सभी लोग भी प्रदूषण के खिलाफ उपाय अपनाकर इसे कम कर सकते हैं। हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपने आस-पास के वातावरण को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखने के लिए कदम उठाए। यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो निश्चित रूप से हम प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं और एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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