नेताजी निकले घर से कर मोबाइल की बैटरी फुल
संसद जाने की खुशी में वो चार्जर गए घर भूल
सरपट हो गए रवाना, रास्ते की खाते हुए धूल
जैसे ही घर पहुँचे, अचानक हुई बिजली गुल
तिलमिला उठे नेताजी नौकरों पर खूब बरसने लगे
नौकरों से मिली फुरसत तो बीवी पर ही गरजने लगे
चिल्ला कर बैठ गया गला तो पानी को तरसने लगे
अपनी ही आग में जलकर दर्द के मारे कहरने लगे
बेसुध होकर भागने लगे नेताजी इधर उधर
पर नही मिल पाई चार्जर की कहीं कोई ख़बर
टेंशन के मारे दिमाग का उनके गिर गया शटर
ना जाने क्या मन ही मन बोलने लगे अटर पटर
जैसे तैसे बेमन से पहुँच गए वो संसद भवन
अपनी सीट पर जा बैठे करके सभी को नमन
बेचैन बेचारे परेशान पर वहां भी लगा न मन
इसी दुःख में बैठे रहे, हो कर बिल्कुल मगन
भाषण देने की थी अब, संसद में उनकी बारी
आये थे घर से नेताजी अपनी कर पूरी तैयारी
ज्यों ही पहुंचे मंच पर लेकर वो अपना पेपर
चार्जर की याद में उनका मूड हो गया हैंपर
मंच से फोन और चार्जर की कथा सुनाने लगे
बेसुध अपने भाषण में मंद मंद मुस्काने लगे
सुनकर सारे दल वाले खूब ठहाके लगाने लगे
आकर मंच पर नेता जी को नींद से जगाने लगे
क्या हो गया है भाई तुमको, ये क्या सुना रहे हो
बिना मतलब वाले मसले यहां क्यों गुनगुना रहे हो
किसानों की नुकसान फसल पर था तुम्हारा विचार
यहां कर लगे बांचने तुम दही पापड़ चटनी आचार
सरकार बनाने न देंगे विपक्षी दल दे अपना वोट उधार
था एक मौका उसका भी तुमने कर दिया बेड़ा पार
चलो घर चलते हैं पहले तुम्हारी चार्जर का पता लगाएं
भूख लगी है इसी बहाने चलो तुम्हारे घर खा कर आएं
सिकुड़ गया मुँह नेताजी का कहाँ से आई ऐसी बलाएँ
घर पर काम बहुत है कहकर नेताजी उनसे पीछा छुड़ाए
आखिर पहुंचकर घर नेताजी ने खोली अपनी आलमारी
मंडरा रही थी सर पर जो दिन भर से चार्जर की बीमारी
झटपट टूट पड़े ऐसे उस बेजान पर बनकर एक शिकारी
लेकर खुश हुए ऐसे जैसे कोई खजाना हाथ लगा हो भारी
चार्जर बिना मोबाइल किस काम का आज ये ज्ञात हुआ
यह कह कर न निकाला करें चार्जर बस अब पर्याप्त हुआ
चर्चा ए बाज़ार दूर दूर तक नेताजी के नाम से विख्यात हुआ
मोबाइल एंड चार्जर की कथा का ऐसे अध्याय समाप्त हुआ।।
–दीपक कुमार ‘दीप’
नेताजी का चार्जर
मोबाइल, आज के युग का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लगने वाली वस्तुओं में से एक है। “नेताजी का चार्जर” शीर्षक मात्र एक सम्बोधन हेतु है, इसके माध्यम से मैं मोबाइल और उसके चार्जर की उपयोगिता के बारे में हास्य अंदाज़ में बताने का प्रयास किया है, मेरा व्यक्तिगत रूप से नेता जी को ही इस पात्र के रूप में चुनने के पीछे एकमात्र कारण बस अपनी कविता की अभिव्यक्ति है और कुछ नहीं।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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