नए साल में नई उमंग हो | Happy New Year

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नए साल में नई उमंग हो
ना तंगदिली बदहाली आए
सुखों से भरे रहें भंडारे सबके
सभी दिवाली होली मनाएं।

अमन चैन की पवन चले और
धरती पर खुशहाली आए
खिला रहे यूं हर एक गुलशन
कली कोई न मुरझा जाए।

नए साल पर हिन्दी कविता
नए साल पर हिन्दी कविता

सांस ले सकें सभी चैन की
ग़मों के बादल ना मडराएं
अभिशाप बने न कर्म हमारा
छोड़ पाप को पुण्य कमाएं।

रहेंगे मिलकर हम सभी पल
जीवन में चाहे जैसा भी आए
घृणा वैर और नफ़रत तज के
हृदय में भी हम प्रेम बसायें।

साथ ना जाना कुछ भी यारों
महल हो जितना आलीशान
सदा रहा ना कोई यहाँ पर
रंक हो चाहे या हो सुल्तान।

नव वर्ष पर हृदय में हम प्रेम बसायें
नव वर्ष पर हृदय में हम प्रेम बसायें

मौत तो है एक कड़वी गोली
जो सभी को खानी पड़ती है
लगता सूना सारा जहां फिर
क्यों व्यर्थ में झगड़ा करती है।

अपने बन जाते हैं बेगाने
जिन्हें भी अपना कहते हैं
भूल के ग़म वो मौत का तेरे
जश्न में हरदम डूबे रहते हैं।

Happy New Year Resolution 2025
Happy New Year Resolution 2025

ना हो कोई आतंकी हमला
अपने हों या फिर हों बेगाने
चमन न उजड़े किसी घर का
गाएं खुशी के सभी तराने।

तज़ के दूरी दिलों से अपने
मानवता का फर्ज़ निभाएं।
‘दीप’ भुलाकर भेद भाव को
सभी को अपने गले लगाएं।

-दीपक कुमार ‘दीप’

नए साल में नई उमंग हो
ना तंगदिली बदहाली आए
सुखों से भरे रहें भंडारे सबके
सभी दिवाली होली मनाएं।

इस कविता को कहने का मात्रा मेरा इतना ही आशय है कि सभी लोग जो भी सत्य और अच्छाई के मार्ग पर चलते हुए आगे बढ़ रहे हैं, वो सभी सुखी, स्वस्थ और हर प्रकार से संपन्न बने रहें, और जिनका उद्देश्य मात्र दूसरों को तकलीफ़ देना, दूसरों को हानि पहुंचना है, भगवान उनको सद्बुद्धि दे। सभी के हृदय में प्रेम और आदर सत्कार की भावना बनी रहे, विशाल हृदय वाले व्यक्ति बनें।

Happy New Year Poem in Hindi 2025
Happy New Year Poem in Hindi 2025

अमन चैन की पवन चले

हर तरफ सुकून और शांति वाला वातावरण हो, हर तरफ प्रेम ही प्रेम हो। धरती पर खुशहाली ही खुशहाली हो नई उमंग हो, कहीं भी ना तंगदिली बदहाली आए सभी बाग़-बाग़ीचे रूपी मानवता की फुलवारी सजी और संवरी रहे, कहीं भी कोई कली मुरझाए नहीं। चारो तरफ घृणा और नफ़रत भरा जो विचार मनुष्य के दिमाग और हृदय के अन्दर उबाल मार रहा है, उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। तभी हम पाप कर्म को करने से बच पाएंगे और पाप के स्थान पर पुण्य कमा पाएंगे।

सभी को अपने गले लगाएं

तज़ के दूरी दिलों से अपने
मानवता का फर्ज़ निभाएं।
‘दीप’ भुलाकर भेद भाव को
सभी को अपने गले लगाएं।

नए साल/नववर्ष में भगवान से यही प्रार्थना और कामना है कि कहीं भी कोई अप्रिय घटना ना घटे, फिर चाहे कोई आतंकवादी गतिविधि हो, या किसी की अकाल मृत्यु हो। सभी एक दूसरे की शुद्ध भावनाओं की क़द्र करते हुए और समस्त मानव मात्र के प्रति कल्याण भाव को हृदय में धारण करके नववर्ष के आगमन का दिल से स्वागत करें।

-प्रिय पाठकों से निवेदन

आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।

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About Post Author

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दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
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