Last updated on November 16th, 2024 at 11:34 pm
दशहरा, हिन्दू त्यौहारों में से एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। Dussehra Poem In Hindi
हर युग में हमेशा ही होती रही
धर्म-अधर्म पाप की लड़ाई है
झूठ जितने भी बदल ले चोले
हावी उसपे रही सदा अच्छाई है
अभिमानी रावण ने छल से
जब माँ सीता का हरण किया
ताले पड़ गए उसकी बुद्धि पर
खुद मृत्यु का उसने वरण किया
माँ सीता को लौटाने हेतु राम ने
रावण से अनगिनत प्रयास किया
अंगद हनुमान को भी भेजा पर
रावण ने उनका ही उपहास किया
धर्म और सत्य हार नहीं सकता
चाहे जितना हो कोई बाहुबली
एक छोटी सी गलती के कारण
दशानन रावण की लंका जली
इतने पर भी समझा नहीं वो
गवांये सवा लाख पोते नाती
कुल में कोई बच न सका जो
करे रावण के घर दिया बाती
दशहरा पर्व हमें यही सिखाता
सोचें जब भी सदा सोचें भला
न बुरा करें हम कभी किसी का
‘दीप’ जीवन जीने की यही कला
-दीपक कुमार ‘दीप’
सारांश:
दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है I
दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, वैसे तो भारत देश अनेकानेक परम्पराओं और रीति रिवाज़ों से जुड़ा हुआ है, दशहरा, हिन्दू त्यौहारों में से एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसे हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इसी क्रम में नौ दिनों तक दुर्गा पूजा भी बड़े धूम धाम से कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है, दशहरा देवी दुर्गा की पूजा का भी महत्व रखता है। यह इस दिन देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करने की स्मृति में मनाया जाता है।
दशहरा पर्व की सीख यही है कि ये दिन हमें दिखावे से परे जाकर मन की शांति देता है, सत्य और धर्म के मार्ग पर ले कर जाता है। जब जब बुराई पर अच्छाई हावी हुई है, सत्य की हमेशा ही जीत हुई है, हमें भी बुराई का त्याग कर के सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिए।
रावण दहन हर साल दशहरे पर मनाया जाता है, जब बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। इस अवसर पर भव्य पंडाल सजाए जाते हैं और विशाल रावण के पुतले को जलाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण संस्कृति का हिस्सा है, जो एकता, भाईचारे और सकारात्मकता का संदेश देता है। आओ, मिलकर इस उत्सव को मनाएं और अपने अंदर के रावण को जलाएं!
जब जब बुराई पर अच्छाई हावी हुई है, सत्य की हमेशा ही जीत हुई है, हमें भी बुराई का त्याग कर के सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिए।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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