चींटी के ऊपर कविता I Cheenti Poem

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अनुशासन की ब्रांड अम्बेस्डर होती हैं ये चीटियां

कभी न थकती चलती रहती
बेशक नन्हीं सी जान है वो
हार न मानो संघर्ष करो
इस मंत्र की पहचान है वो

Cheenti Par Kavita
Cheenti Par Kavita

निरन्तर अपने दल के संग
लम्बी लम्बी कतारें बनाती
खाने की मीठी चीजों को
पल भर में चट कर जाती

मिलजुल कर रहती हैं वो
ग़र कोई मुसीबत आती
होकर संगठित श्रम करती
और राहत सामग्री पहुंचाती

व्यर्थ समय नहीं गंवाती
अनुशासन में ही रहती है
सर्दी गर्मी धूप बरसात
सब कुछ सहन करती है

लक्ष्य से भटकें नहीं हम  
चींटी हमें यही सिखलाती
मेहनत करो मिलेगी मंजिल
‘दीप’ ये पाठ चींटी पढ़ाती

चींटी पर कविता
चींटी पर कविता

-दीपक कुमार ‘दीप’

सारांश

हम सभी ने चींटियों के बारे में कभी न कभी किसी के द्वारा कोई ना कोई उपमा अवश्य सुनी होगी जैसे- चींटी की तरह मसल दूंगा, चींटी हाथी के सूंड़ में घुस जाए तो विशालकाय हाथी से भी तांडव करवा सकती है, वगैरह वगैरह, पर क्या कभी हमने सोचा है कि एक नन्हीं सी चींटी जिसे फूंक मार दो तब भी उड़ जाती है, बहुत कुछ सिखलाती है, चींटी से हम सभी अनुशासन सीख सकते हैं ।

नन्हीं चींटी से प्रेरणा

चींटियाँ बहुत ही छोटे आकार की होते हुए भी अद्भुत अनुशासन और संगठित व्यवहार का उदाहरण पेश करती हैं। उनके जीवन से हमें अनेक महत्वपूर्ण पाठ सीखने को मिलते हैं, जो हमें व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अनुशासन, टीम वर्क, और मेहनत की महत्ता को समझने में मदद करते हैं। चींटियाँ सदैव अपने भोजन की तलाश में कई जगहों पर भटकती रहती है, कीट पतंगों की श्रेणी में आने वाली ये नहीं सी चींटी सामूहिक रूप से अपने काम को अथक परिश्रम से करती है और उसमें सफल भी होती है, इन नन्हीं चींटियों को भविष्य में होने वाली गतिविधियों की भी जानकारी होती है, मौसम और ऋतुओं से भी वो भली भांति परिचित होती हैं, वर्षा ऋतू आने से पहले ही ये चीटियाँ सूखे स्थानों पर अपने घोसले बनाकर उसमें भोजन इकक्ठा करना शुरू कर देते हैं, क्रमशः वो शीत व ग्रीष्म ऋतुओं में भी अपने काम में लगी रहती हैं, अर्थात हर समय अपने काम को पूरी निष्ठा, लगन, मेहनत, समर्पण और ईमानदारी से करती हैं, जिससे इनके प्रत्येक काम में हमें नियमितता, क्रमबद्धता देखने को मिलती है, जो कि हमें हमारे व्यक्तिगत तथा पेशेवर जीवन में संतुलन लाने में सहायक होती हैं। सिर्फ़ इतना ही नहीं विपत्ती आने पर ये अपने परिवार सहित उस परेशानी को दूर करने में लग जाती हैं, फिर चाहे वो कार्य कितना भी कठिन क्यों न हो।

चींटियों की तरह, हमें भी अपने जीवन में सकारात्मक आदतें विकसित करनी चाहिए। नियमित व्यायाम, समय प्रबंधन, और अध्ययन के लिए अनुशासन जरूरी है। हम अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करें, जैसे कि पढ़ाई, करियर, और व्यक्तिगत विकास। चींटियों के जैसे, हमें भी टीम में काम करते समय सहयोग और समर्पण को प्राथमिकता देनी चाहिए, कोई भी काम की योजना बनाने से लेकर उसे अनुशासित तरीके से कार्यान्वित करना प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

निष्कर्ष

चींटियाँ हमें यह सिखाती हैं कि अनुशासन केवल नियमों का पालन करना नहीं है, बल्कि यह एक दृष्टिकोण है, जो हमें हमारे लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मदद करती है। अगर हम अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में चींटियों के अनुशासन से सीख लें, तो हम निश्चित रूप से अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

-प्रिय पाठकों से निवेदन

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दीपक कुमार 'दीप' http://chaturpandit.com वेबसाइट के ओनर हैं, पेशे से वीडियो एडिटर, कई संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्य किया है। लगभग 20 वर्षों से कविता, कहानियों, ग़ज़लों, गीतों में काफी गहरी रूचि है। समस्त लेखन कार्य मेरे द्वारा ही लिखे गए हैं। मूल रूप से मेरा लक्ष्य, समाज में बेहतर और उच्च आदर्शों वाली शिक्षाप्रद कविता , कहानियां, लेख पहुंचाना है। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
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