चिड़िया बोली: हिन्दी कविता | Nursery Rhyme for Children | चिड़िया बोली अपनी आवाज़ में भैया सुबह हो गई है, पशु पक्षी भी बोलने लगे इसलिए जागो जागो, ज़्यादा देर तक नहीं सोना चाहिए।
चिड़िया बोली तितली रानी अब तुम आँखें खोलो
भोर हो गई सूरज की किरणों में आओ नहा धो लो
सुबह सवेरे बिखरी ओस पौधे पेड़ पत्तियों घास पर
चांद सितारे टकटकी लगाए देखते रहे इन्हें रात भर
शुद्ध ठंडी हवा में बच्चों ने भी अपनी आँखें खोली
अहा कितना सुंदर सवेरा मुस्कुरा कर चिड़िया बोली
लगे झूमने पेड़ घने डाल पर खिली कलियाँ शरमाई
कोयल गाने लगी राग मल्हार और तोते ने टेर लगाई
फूलों ने अपने घूंघट खोले भौंरे भी लगे करने गुंजार
मेंढकों की टर्र टर्र बंद हुई पक्षियों ने नापा ये संसार
काँव-काँव कर कौआ बोला गाय के बछड़े फुदक रहे
ची ची चू चू कर चूजे दाना चुग के घोंसले में चहक रहे
-दीपक कुमार ‘दीप’
सारांश (Summary)
चिड़िया बोली | Chidiya Boli
पशु पक्षी भी इंसानों से ज्यादा समझदार होते हैं, वो सहज जीवन जीते हैं, समय से सोना समय से जागना, खाना पीना सब कुछ मर्यादित तरीके से। कितना मर्यादित और अनुशासन वाला जीवन होता है उनका, प्रकृति के मध्य रहकर प्रकृति के सभी बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए जीते हैं। भोजन मिल गया तो भी ठीक नहीं मिला तो भी ठीक, भोजन को चबा चबा कर आराम से खाते हैं। शरीर पर कोई घाव हो, कोई चोट लग जाए या बीमार हो जाएं स्वतः भोजन का त्याग कर देते हैं। तब तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं।
कितना कुछ संतुलन बना कर चलते हैं, पशु पक्षियों की ज़िन्दगी वाकई कमाल है, सूर्योदय से पहले जाग जाना उनकी फ़ितरत में शामिल है, योग के स्थान पर दौड़ना, भागना, उड़ना वगैरह वगैरह, प्रत्येक कार्य को बखूबी करते रहते हैं, जिससे वे तुलनात्मक दृष्टिकोण से इंसानों से ज्यादातर स्वस्थ रहते हैं। तोते और कोयल से लेकर सभी पक्षी प्रातः काल की बेला का भरपूर लाभ उठाते हैं, गाय, भैंस हों या उनके बछड़े सभी प्रकृति के साथ साथ चलते हैं और अपना जीवन वैसा ही बना लेते हैं।
5 GOOD HABITS
इंसान यदि पशु पक्षियों की ही तरह अपनी आदतों को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना ले, तो प्रत्येक व्यक्ति सुखी हो जायेगा, निरोगी काया प्राप्त करेगा। यहाँ कुछ बिंदुओं को सांझा कर रहा हूँ, जिससे आप स्वयं समझ जायेंगे कि कैसे एक पक्षी हमें अपनी तरह से समझाना चाह रही है, हम इंसानों के लिए, क्या है फायदेमंद।
1- रात्रि में भी समय से सो जाना एवं प्रातः काल सूर्योदय से पहले सो कर उठना
2- बीमार होने पर दो तीन दिनों के लिए अन्न त्याग देना एवं गर्म पानी पीना, नारियल पानी पीना
3- हल्का भोजन करना
4- भोजन को चबा चबा कर खाना
5- खाना खाने के बाद कुछ दूर चलना फिरना
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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