गुरु नानक धन गुरु नानक धन
गुरु नानक बाबा धन गुरु नानक
हो जिसके सर पर हाथ तुम्हारा
भला कैसे कोई भी दुःख पाएगा
सींचा है ख़ुद जिसको भी आपने
वो ही फूल भला कैसे मुरझाएगा
सिक्ख धर्म के वे पहले गुरु नानक
सत्य ही राह दुनिया को दिखलाई
ज्ञान का दीप जलाके हर दिल को
भ्रम के जाल से थी मुक्ति दिलाई
उनकी शिक्षाएं जीवन का आधार
बना हर ओर प्रेम की उठी आवाज
अनेकता में एकता का संदेश देकर
बनाया एक स्वस्थ व सुन्दर समाज
मानव करेगा मानवता की संभाल
प्रेम दया करुणा हृदय में भर कर
सभी में है नूर बस एक ही प्रभु का
प्रेम करो सबसे प्रभु रूप जान कर
गुरु नानक जयंती का पर्व है आया
उनकी शिक्षा आर्दशों को अपनाएं
सेवा करें निष्काम दुःखी निर्धनों की
संगत में बैठ कर भक्ति के गीत गाएं
श्रद्धा और विश्वास भक्तों का गहना
जिसने पहना वो मालामाल हो गया
चेतनता जीने का सलीका सिखलाती
जो गया सीख वो बेमिसाल हो गया
-दीपक कुमार ‘दीप’
गुरुनानक जयंती, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के रूप में मनाया सिर्फ़ भारत में नहीं अपितु सिक्ख धर्म को मानने वाले जहां जहां भी जिन देशों अथवा स्थानों पर रहते हैं, वहां भी बड़े आदर भाव और सम्मान के साथ मनाया जाता है। सिक्ख धर्म का ये सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। प्रतिवर्ष इसे कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को जो अभी वर्तमान में पाकिस्तान के ननकाना साहिब में स्थित है, हुआ था। वे सिक्ख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक थे, जिन्होंने एक ईश्वर की उपासना का संदेश सारे विश्व भर में रहने वालों को दिया।
गुरु नानक देव जी का जीवन और शिक्षाएं
गुरु नानक देव जी का जीवन और शिक्षाएं सिक्ख धर्म ही नहीं समस्त मानवता प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने धर्म, जाति, और सांस्कृतिक भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया। उनके विचारों में मानवता की सेवा और सच्चाई का उदाहरण देखने को मिलता है। गुरु नानक देव जी महाराज ने ‘कर सेवा, मन सेवा और वाणी सेवा’ के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।
गुरु नानक जयंती पर होने वाले कार्यक्रम
गुरु नानक जयंती के अवसर पर सिक्ख धर्म के अनुयायी अपने घरों में विशेष सजावट करते हैं और घर को दीयों से सुसज्जित करते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। केवल घर पर ही नहीं बल्कि इस दिन श्रद्धालु गुरुद्वारों में भी एकत्रित होते हैं, जहां समस्त श्रद्धालु भक्त गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करते हैं। उनके वचनों को ध्यानपूर्वक सुनते हैं एवं उसका अनुसरण करने का प्रयास करते हैं, इस दिन गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन भी किया जाता है, जहां सभी समुदाय के लोग बिना किसी भेदभाव के खाना खाते हैं। यह लंगर सेवा गुरु नानक जी के मानवता के प्रति प्रेम का प्रतीक है।
मार्गदर्शन का उत्सव
ये केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह मानवता के प्रति उनके विचारों का सम्मान और उनके मार्गदर्शन का उत्सव है। ये दिन हमें अपने अंदर अच्छे गुणों को अपने हृदय में स्थान देने का है और सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलते हुए समस्त मानवमात्र के लिए सद्भावना का भी प्रतीक है।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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