नए भारत के सुनहरे भविष्य की तस्वीर कल यही बच्चे होंगे, जिन्हें आज कर्म के पथ पर आगे बढ़ना है। अच्छी शिक्षा के साथ क्या ज़रूरी है सीखना। पढ़ें पूरी कविता
कर्म के पथ पर आगे आगे
हम सभी को निरंतर बढ़ना है
खेलकूद मस्ती के साथ साथ
मेहनत से हमेशा हमें पढ़ना है
गर्मी सर्दी की इन छुट्टियों को
हरगिज़ न यूँ हम बेकार करें
उज्जवल बेहतर भविष्य का
आओ हम सपना साकार करें
सीखें तैराकी नृत्य व संगीत
खेल का अच्छे से अभ्यास करें
ज्यादा से ज्यादा हम हर दिन
नया सीखने का प्रयास करें
घर में भी कविता कहानियां
हम खूब पढ़ें और सुनें सुनाएं
गणित अंग्रेज़ी में पारंगत बनें
ज्ञान विज्ञान में रुचि दिखाएं
बड़े बुज़ुर्गों के पास बैठकर हम
सुनें धार्मिक कथाएं और प्रसंग
शक्ति मिले इससे तन मन को
देती जीने का हमें निराला ढंग
खूब हँसे और हँसायें सभी को
सुनाकर चुटकुले कई मज़ेदार
घूमों देखो जाकर गाँव नगर को
नज़ारे रंग बिरंगे अनोखा संसार
बुनियाद ग़र होगी शिक्षा की
घर समाज देश होगा खुशहाल
प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा
स्वस्थ सुखी जीवन बेमिसाल
–दीपक कुमार ‘दीप’
वेद ग्रंथों में इसलिए तो मानव जीवन को अनमोल कहा गया है और इसकी तुलना हीरे से की है, क्योंकि जीवन का हर एक क्षण, हर एक पल बहुत कीमती है। इसे यूँ ही बर्बाद न करें, बदलते वक़्त में किताबी ज्ञान के साथ साथ खेलकूद और अन्य दूसरी रचनात्मकता वाले कार्य, बच्चों को उनके सुनहरे भविष्य की ओर ले जाने में सहायक बन रही है। यही तो हमारा कर्म है और इस कर्म के पथ पर चलकर सभी दायित्वों का निर्वाह करते हुए हमें हर दिन को खास बनाने की ओर अग्रसर होना है।
कर्म के पथ पर
गर्मी हो या सर्दी की छुट्टियां, इसे मौज़ मस्ती के साथ साथ ज्ञानार्जन के उपयोग में लाएं। आपकी जिस भी क्षेत्र में रूचि हो उसी अनुसार अपने कार्य की दिशा को तय करें, कोई भी खेल हो, चाहे वो तैराकी, क्रिकेट, फुटबॉल हो या कोई नृत्य व संगीत हो, ये शिक्षा भी आपको भविष्य में एक अलग पहचान दिलाएगी। इसलिए ज़रूरी है हर दिन कुछ नया सीखने का प्रयास करें, ज्ञान की कोई सीमा नहीं है, ज्ञान समुद्र के जैसा ही है, जितना ज्यादा गहराई में उतरेंगे उतना ही आपको नए नए रहस्यों का पता लगता चला जायेगा। ये बहुत ही सुनहरा अवसर है खुद को/स्वयं को मूल्यवान बनाने का।
एक और बात हमेशा याद रखिये, हाथों की लकीरों में आपका भविष्य नहीं छिपा होता है, आपके कर्म से ही आपके भविष्य का रास्ता तय होता है। आप किस तरह का कार्य करते हैं और उसमें आपकी कितनी प्रवीणता है, ये इस बात पर निर्भर करती है कि आपका वर्तमान और भविष्य कौन सा आकार लेगा, जिसमें सुख ही सुख होगा या फिर दुःख ही दुःख। इससे भी ऊपर एक अवस्था आती है जिससे निम्न वर्ग प्रतिदिन संघर्ष करता है ऊँचा उठने के लिए और वो उठता भी है, यह सब कुछ हमारे परिश्रम, लगन और काम करने की दिशा से भविष्य की दशा पर निर्भर करता है।
जीवन को सफलता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाने के साथ साथ, उसमें नम्रता, मानवता और विशालता भी होना अत्यंत आवश्यक है।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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