Last updated on November 4th, 2024 at 04:56 pm
आओ दिल की ज़मीन पर इक घर बनाते हैं
प्यार के मीठे रंगों से अपना आंगन सजाते हैं।
तिनका तिनका बिखर रहे जो मोती रिश्तों के
वक्त को वक्त देकर होठों पर मुस्कान लाते हैं।
जन्नत कहीं और नहीं ना बादलों से परे है वो
ज़िंदगी में बस थोड़ी सी मानवता अपनाते हैं।
वजूद खोखले हुए नफ़रत ने हवा दी शोलों को
प्रेम के ठंडे पानी से लगी चिंगारी को बुझाते हैं।
ख़ाक ना हों परवाने वीरान ना हो ये चमन सारा
चलो मुहब्बत के शम्मा को जलने से बचाते हैं।
बुझे हुए अधरों पे सिसकती रूहों को फिर से
गले लगाकर पोंछ कर आँसू दुःख दर्द भगाते हैं।
इन्तज़ार है हर किसी को एक नए सवेरे की आओ
ख़्वाहिशों की ज़िंदगी में उम्मीद के ‘दीप’ जलाते हैं।
-दीपक कुमार ‘दीप’
आओ दिल की ज़मीन पर
बदलते वक़्त के साथ साथ आज हर जगह पर तनाव और रिश्तों में भी कड़वाहट आई है, संकुचित विचारों के कारण दूरियां बढ़ रही है। परिवार, दोस्त, और साथी भी बिखर रहे हैं, स्वार्थ की बुनियाद पर टिका हुआ हर पल ऐसे बीत रहा है जिसे बीतता हुआ कोई देखना नहीं चाहता। छोटी-छोटी खुशियों में आनंद खोज लेने वाले ये वही रिश्ते होते हैं जो मुसीबत के वक़्त हमें सबसे ज्यादा याद आते हैं। आज इनकी परिभाषा बदल गई है “छोटा परिवार सुखी परिवार” जैसे नारों को बदलते दौर ने सत्य करके दिखलाना शुरू भी कर दिया है।
ग़लतफ़हमी
अक्सर ऐसा देखने को मिलता है, झूठ की जिन बुनियादों का सहारा लेकर घरों में आपसी कलह होते हैं, उसमें ज्यादातर बिना वजह की बातें होती हैं, जिन्हें आसानी से दूर किया जा सकता है, परन्तु सच्ची बातों को पेश ना करके झूठी बातों को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता है। जिससे सामने वाला भड़क उठता है और उसकी जिसके बारे में बात हो रही होती है, उसे लेकर हमारी राय बदल जाती है। धीरे धीरे यहीं से आपसी कड़वाहट शुरू हो जाती है। बोल चाल धीरे धीरे कम होने लगती है, एक वक़्त ऐसा भी आता है जब कोई दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करता और ये सब कुछ होता है ग़लतफ़हमी की वजह से।
अच्छे लोगों की संगति
आज संसार में हर तरफ लड़ाई-झगड़ों का शोर है, हर ओर ही स्थिति मानवता के लिए बेहद चिंताजनक है I हमारा प्रयास यही होना चाहिए कि हम सभी लोग प्रेम से रहें I आख़िर क्या फायदा अगर सब कुछ हासिल भी हो जाए, मगर उन सुखों का भोग करने के लिए आपके पास आपके अपने लोग ही ना हों, इसलिए यह ज़रूरी है कि जो भी मानवता के हितैषी हैं और अपने आस पास शांति और सुकून से रहना चाहते हैं, तो वो कार्य करें जिससे मानवता खिल उठे, मुस्कुराए I अच्छे लोगों की संगति में बैठना उठना चाहिए, क्यूंकि जिसके पास जो चीज होगी वो आपको वही चीज देगा I प्रेम करने वाले के पास प्रेम और नफ़रत करने वाले के पास नफ़रत, इसका चुनाव हमें स्वयं करना होगा पूरी तरह से जागरूक होकर I ये कहावत तो सुनी ही होगी “गेहूं के साथ साथ घुन भी पिस जाता है”, इसलिए बेहतर है हमेशा अपने कर्म को लोगों की भलाई के लिए, समाज की भलाई के लिए, देश की भलाई के लिए बनाएं I
मानवता खिल उठे
मैंने अपनी कविता के माध्यम से एक भावपूर्ण प्रार्थना समाज के आगे की है, कि अगर हो तो ये समूचा विश्व ख़ुशी और आनंद की गोद में अपने जीवन का प्रत्येक पल बिताएगा।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
आपको मेरी ये कविता कैसी लगी, कृप्या कमेंट करके ज़रूर बताएं, आप अपने दोस्तों, सगे सम्बन्धियों को भी अवश्य शेयर करें, आपके सुझाव का स्वागत है। आपके कमेंट से मुझे और बेहतर लिखने और अच्छा करने का मौका मिलेगा। एक कलाकार, लेखक, कवि, रचनाकार की यही इच्छा होती है कि लोग उसके किए कार्यों को सराहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वो अपनी रचना शेयर कर सके।
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