अच्छे बच्चे: “पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं”, जो बच्चे अच्छे।संस्कारों के साथ बड़े होते हैं, वो जहां भी जिस रूप में हों वहां समाज और देश का हमेशा भला ही करते हैं।
अच्छे बच्चे वो कहलाते जो
अपने बड़ों का कहना माने
आज्ञाकारी बन ऐसे बच्चे ही
माता पिता के होते खजाने
दिन दूना रात चौगुनी करते
परिश्रम बड़ी ईमानदारी से
कोई भी काम करते जब वो
करते सदा हैं समझदारी से
व्यर्थ में अपना एक भी पल
हरगिज़ नहीं कभी वे खोते हैं
खेलकूद व्यायाम मनोरंजन
कर समय से जागते सोते हैं
स्वभाव नम्रता वाला सबसे
रख कर दिल में व्यवहार करे
छोटे बड़े को वो देकर आदर
दुखियों की सेवा हर बार करे
काम से कभी ना जी चुराना
अच्छे बच्चे की यही आदत है
झूठ नहीं सदैव सच ही बोलते
ये संस्कारी बच्चे की ताकत है
-दीपक कुमार ‘दीप’
सारांश (Summary)
अच्छे बच्चे
यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा, आज बदलते परिवेश में सभी बदल रहे हैं, किन्तु जिनके संस्कार ज़मीन की गहराइयों से जुड़े हुए होते हैं, वो लोग किसी भी विपरीत परिस्थिति में अपनी अच्छाई को नहीं छोड़ते, फिर चाहे जो हो जाए। अक्सर हमने लोगों से यह कहते हुए ज़रूर सुना होगा: “पूत के पांव पालने में। दिख जाते हैं”।
अच्छे बच्चे अपने परिवार, स्कूल और समाज के नियमों का पालन करते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों का सदैव आदर व सम्मान करते हैं और हमेशा सत्य का ही सहारा लेते हैं और सत्य ही बोलने का प्रयास भी करते हैं। अच्छे बच्चे कड़ी मेहनत करते हैं और अपने कार्यों में ईमानदार रहते हैं। वे अपने दोस्तों और अन्य लोगों के प्रति दयालु और सहायक होते हैं।
यदि आप बच्चों में अच्छे संस्कार और अच्छी आदतों का गुण विकसित करेंगे तो यक़ीनन आने वाले वक़्त में वो एक फलदाई वृक्ष के समान प्रतीत ही नहीं होंगे बल्कि ऐसे बच्चे देश और समाज के साथ साथ अपने परिवार का भी बख़ूबी ख्याल रखते हैं। अच्छे बच्चे जिम्मेदार और आत्मनिर्भर होने के साथ ही साथ अनुशासन, मेहनत और सकारात्मक सोच वाले होते हैं। इस तरह के बच्चे न केवल अपने परिवार का बल्कि समाज का भी गौरव होते हैं। वे अपने अच्छे कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में देश की मदद करते हैं।
संस्कारी बच्चे
अच्छे बच्चे अपने परिवार के साथ साथ, समाज और संस्कृति के मूल्यों को भली भांति समझते हैं और उनका पालन भी करते हैं, वो संस्कारी बच्चे होते हैं। संस्कार का मानव जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है, जिसकी सहायता से हमें सही और गलत के बीच अंतर स्पष्ट हो पाता है। संस्कारी बच्चे अपने माता-पिता, गुरुजनों और बड़ों का आदर करते हैं और उनकी बातें ध्यान से सुनते हैं। अच्छे बच्चे या यूँ कहें संस्कार युक्त बच्चे सत्य और कर्त्तव्य के प्रति ईमानदार होते हैं। संस्कारों के कारण ही बच्चे छोटी-छोटी बातों में मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।
-प्रिय पाठकों से निवेदन
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